ऋषिकेश: दो जिलों की दूरियों को पाटने वाले पुल का सीएम त्रिवेन्द्र ने आज लोकार्पण किया। टिहरी और पौड़ी जिलों के बीच मुनिकीरेती और स्वर्गाश्रम को जोड़ने वाला जानकी सेतु आज से आम जनता के लिए खुल गया है। लंबे समय इस पुल की प्रतीक्षा की जा रही थी। इसका निर्माण मार्च 2013 में शुरू हुआ था। तमाम अड़चनों के कारण यह पुल समय पर तैयार नहीं हो पाया। लंबे इंतजार के बाद तैयार हुए जानकी सेतु का शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, कबीना मंत्री सुबोध उनियाल और यमकेश्वर विधायक रितु खंडूरी ने संयुक्त रुप से लोकार्पण किया। पौड़ी और टिहरी को जोड़ने वाले इस पुल के बनने से लोगों की बड़ी समस्या का समाधान हो गया। अब घंटों का सफर मिनटों में तय होगा। व्यापार, शिक्षा और चिकित्सा संबंधी सभी सेवाओं में मदद मिलेगी। जो बच्चे पौड़ी से ऋषिकेश पढ़ने आते हैं, उन्हें भी आवाजाही में मदद मिलेगी। ऋषिकेश का लक्ष्मण झूला पुल लंबे वक्त से बंद है, ऐसे में पौड़ी और टिहरी के निवासियों के साथ ही पर्यटकों को भी जानकी सेतु के तैयार होने का बेसब्री से इंतजार था। ये इंतजार अब खत्म हो गया। जानकी सेतु बनकर तैयार है। चलिए अब आपको जानकी सेतु की खास बातें बताते हैं। यह पुल टिहरी और पौड़ी जिले को आपस में जोड़ता है। जिससे नीलकंठ यात्रा और यमकेश्वर, दुगड्डा जाने वाले लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। यह 3 लेन पुल है। जिसे सिर्फ पैदल आने-जाने वालों और दोपहिया के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है। बड़ी गाड़ियों को आवाजाही के लिए बैराज और गरुड़ चट्टी के पुल का प्रयोग करना होगा। आगे पढ़िए
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स्वर्गाश्रम और यमकेश्वर के लोग लंबे वक्त से पुल निर्माण की बाट जोह रहे थे। सालों का इंतजार अब खत्म हो गया है। अब सिर्फ इसके उद्घाटन का इंतजार है। जानकी सेतु के माध्यम से कम समय में ऋषिकेश पहुंचा जा सकता है। व्यापारियों के लिए भी पुल काफी लाभदायक है। यमकेश्वर क्षेत्र से बड़ी संख्या में छात्र ऋषिकेश पढ़ने के लिए जाते हैं, उन्हें भी पुल के बनने से मदद मिलेगी। अगले साल हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन होना है। ऐसे में जानकी सेतु सिर्फ सुविधा ही नहीं बल्कि क्षेत्र में पर्यटन का भी आधार बनेगा। कुंभ के दौरान ऋषिकेश आने वाले तीर्थयात्री पूर्णानंद पार्किंग में गाड़ी खड़ी करके सिर्फ 5 मिनट के भीतर स्वर्ग आश्रम पहुंच जाएंगे। इस तरह कुंभ में आने वाले यात्रियों के लिए यह पुल कारगर साबित होगा। स्थानीय लोगों के साथ-साथ नीलकंठ कांवड़ यात्रा पर आने वाले पर्यटकों को भी इसके बनने से फायदा होगा।