उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालPauri Garhwal Shaheed Swatantra Singh

गढ़वाल: घर में चल रही थी बेटी की शादी की तैयारियां..तिरंगे में लिपटे आए पिता

अगस्त में ड्यूटी पर लौटते वक्त सूबेदार स्वतंत्र सिंह ने बेटी शिवानी से कहा कि वो फरवरी में घर लौटेंगे और उसके लिए सुयोग्य वर ढूंढेंगे, लेकिन अफसोस कि स्वतंत्र सिंह बेटी के हाथ पीले करने से पहले ही चल बसे।

Pauri Garhwal Subedar Swatantra Singh: Pauri Garhwal Shaheed Swatantra Singh
Image: Pauri Garhwal Shaheed Swatantra Singh (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: बेटियां हर घर की रौनक होती हैं, पिता का मान होती हैं। देशभूमि के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले सूबेदार स्वतंत्र सिंह भी अपनी बेटी शिवानी पर जान छिड़कते थे। स्वतंत्र सिंह ने बेटी शिवानी को लाल जोड़े में विदा करने का सपना देखा था, लेकिन भाग्य का खेल देखिए। जिस बेटी को स्वतंत्र सिंह लाल जोड़े में विदा करना चाहते थे, उसी लाडली बेटी को पथराई आंखों से पिता को अंतिम विदाई देनी पड़ी। परिवार को सूबेदार स्वतंत्र सिंह के बलिदान पर गर्व है, लेकिन उनके चले जाने के बाद घर और अपनों के दिलों में जो जगह खाली हुई है, वो अब कभी भर नहीं पाएगी। परिजनों ने बताया कि 3 महीने पहले जब स्वतंत्र सिंह घर आए थे तो उन्होंने बेटी के लिए सुयोग्य वर तलाशने की बात कही थी। अगस्त में ड्यूटी पर लौटते वक्त उन्होंने बेटी शिवानी से कहा कि वो फरवरी में घर लौटेंगे और उसके लिए सुयोग्य वर ढूंढेंगे, लेकिन अफसोस कि स्वतंत्र सिंह बेटी के हाथ पीले करने से पहले ही चल बसे।

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शनिवार सुबह जब स्वतंत्र सिंह का तिरंगे में लिपटा शव घर पहुंचा तो शिवानी बेसुध हो गई। छोटी बेटी संगीता भी बिलख-बिलख कर रो पड़ी। वहीं बेटे अंकित और आदित्य को अब भी यकीन नहीं हो रहा कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे। सूबेदार स्वतंत्र सिंह की मां प्यारी देवी 82 साल की हैं। उनके दर्द का आप और हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। प्यारी देवी ने महज डेढ़ साल के अंतराल में अपने दोनों बेटे खो दिए। गांववालों ने बताया कि स्वतंत्र सिंह अपने परिजनों के साथ ही पूरे गांव के सुख-दुख का ख्याल रखते थे। आपको बता दें कि गुरुवार को पाकिस्तानी सेना की तरफ से की गई फायरिंग में जवाबी कार्रवाई के दौरान कोटद्वार के रहने वाले सूबेदार स्वतंत्र सिंह शहीद हो गए थे। शनिवार को 16 गढ़वाल राइफल्स के सूबेदार स्वतंत्र सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव उडियारी लाया गया। जहां उन्हें अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान भारी तादाद में उमड़े जनसमूह ने बलिदानी स्वतंत्र सिंह को नम आंखों से विदाई दी।

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