उत्तराखंड देहरादूनRachna Rawat teacher Rudraprayag

गढ़वाल: सुदूर गांवों में इंटरनेट हुआ 'फेल', तो गांव-गांव जाकर बच्चों को पढ़ा रही है ये शिक्षिका

मिलिए रुद्रप्रयाग की शिक्षिका रचना रावत से जिन्होंने इस कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित गांव के बच्चों को पढ़ाने की एक सराहनीय और प्रेरणादायक मुहिम की शुरुआत की है

Rudraprayag News: Rachna Rawat teacher Rudraprayag
Image: Rachna Rawat teacher Rudraprayag (Source: Social Media)

देहरादून: कोरोना संक्रमण ने दस्तक देने के साथ ही हर क्षेत्र के ऊपर बहुत प्रभाव डाला है। वैश्विक महामारी के चलते बच्चों की पढ़ाई के ऊपर भी काफी असर पड़ा है। बड़ी कक्षाओं को छोड़ कर सभी बच्चे घर पर बैठकर ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। मगर सोचने वाली बात यह है कि ऑनलाइन पढ़ाई का जो यह माध्यम चुना गया है, क्या वह हर जगह सफल है? इसका उत्तर हमको उन क्षेत्रों में मिलेगा जहां स्कूल के बच्चे कई महीनों से नेटवर्क और संसाधनों की कमी के चलते ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। उत्तराखंड के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के पास शिक्षा प्राप्त करने का जरिया है ही नहीं। उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में नेटवर्क कनेक्टिविटी कम होने के कारण बच्चे पढ़ाई से दूर हो रखे हैं। स्कूल महीनों से बंद हैं और बच्चों को पढ़ाने वाला भी कोई नहीं है, ऐसे में बच्चे कई महीनों से शिक्षा से वंचित हैं। कई महीनों से स्कूल न खुलने के कारण बच्चों समेत उनके अभिभावकों को भी भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

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बात करें रुद्रप्रयाग की तो रुद्रप्रयाग में भी दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में नेट कनेक्टिविटी नहीं होने से यहां बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में रुद्रप्रयाग की एक शिक्षिका ने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए उनको खुद उनके गांव में पढ़ाने की ठानी है। हम बात कर रहे हैं रुद्रप्रयाग जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय सेमी-भैंसारी में तैनात शिक्षिका रचना रावत की, जिन्होंने समाज में इस मुहिम से अनोखी छाप छोड़ी है। उन्होंने नेटवर्क कनेक्टिविटी और संसाधनों में कमी को देखते हुए अध्यापक होने की ड्यूटी निभाई और बच्चों को उनके गांव में पढ़ाने की ठानी। रुद्रप्रयाग के केदार घाटी स्थित सेमी-भैंसारी में तैनात गणित और विज्ञान विषय की शिक्षिका रचना रावत ने साबित कर दिया है की अध्यापक केवल स्कूल तक ही सीमित नहीं होता। बल्कि अध्यापक अपने विद्यार्थियों के लिए ढाल के जैसा होता है। जब रचना रावत ने देखा कि गांव में बच्चे ठीक से इंटरनेट की वजह से पढ़ नहीं पा रहे हैं तो उन्होंने गांव के सभी बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा उठाया। वे सप्ताह में 3 दिन सेमी गांव और 3 दिन भैंसारी गांव में जाकर कक्षा 6 से लेकर आठवीं तक के छात्र एवं छात्राओं को गणित विज्ञान और अंग्रेजी पढ़ा रही हैं।

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अध्यापिका रचना रावत ने ऐसी वैश्विक महामारी के बीच में दोनों गांवों के बच्चों को पढ़ाने का जो निर्णय लिया है उससे उनके अभिभावक बेहद प्रसन्न हैं। शिक्षिका की इस मुहिम से गांव के छात्र एवं छात्राओं के ऊपर काफी सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। बच्चे नियमित रूप से पढ़ने के लिए उपस्थित हो रहे हैं और बेहद मन लगाकर पढ़ते भी हैं। शिक्षिका रचना रावत का कहना है कि गांव में नेटवर्क ठीक तरीके से नहीं मिलने पर बच्चों को पढ़ाई में काफी समस्या आ रही थी। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई के बीच में कोई रुकावट न आए और पढ़ाई जारी रहे इसलिए उन्होंने सभी बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी उठाई है। हफ्ते में 3 दिन 1 गांव में और 3 दिन दूसरे गांव में जाकर वे छठी से आठवीं तक के बच्चों को अंग्रेजी विज्ञान और गणित पढ़ाती हैं। उनकी इस मुहिम को उखीमठ के उप शिक्षा अधिकारी रवि कुमार ने भी सराहा है उन्होंने कहा है कि राज्य के उच्च प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षिका रचना रावत ने गांव में जाकर बच्चों को पढ़ाने की जो महिम चालू की है वह बेहद सराहनीय और प्रेरणादाई है।