उत्तराखंड उत्तरकाशी50 percent liquor shops in Uttarakhand registered in the name of women

उत्तराखंड में 50 फीसदी शराब की दुकानें महिलाओं के नाम पर..पढ़िए चौंकाने वाली रिपोर्ट

जिस प्रदेश की महिलाओं ने शराब के खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन किए, उसी प्रदेश में आज शराब के 50 फीसदी ठेके महिलाओं के नाम पर संचालित हो रहे हैं। आगे पढ़िए पूरी रिपोर्ट

Uttarakhand Liquor Contracts: 50 percent liquor shops in Uttarakhand registered in the name of women
Image: 50 percent liquor shops in Uttarakhand registered in the name of women (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: नशाखोरी पहाड़ के माथे पर कलंक सरीखा है। पहाड़ में पुरुषों की शराबखोरी की लत ने हमेशा से महिलाओं की मुश्किलें बढ़ाईं हैं। इन्हीं मुश्किलों ने पहाड़ की नारी को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर किया। महिलाओं ने शराब के खिलाफ लंबे आंदोलन किए। इन आंदोलनों का असर भी दिखा। कई जगह शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लग गया, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने प्रदेश में आज आधे से ज्यादा शराब की दुकानें महिलाओं के नाम पर संचालित हो रही हैं। जी हां नेटवर्क 18 डॉट कॉम की खबर तो ये ही कहती है। राजस्व के लिहाज से शराब की बिक्री राज्य सरकार के लिए आय का दूसरा सबसे बड़ा जरिया है, यही वजह है कि कोरोना का खतरा चरम पर होने के बावजूद राज्य सरकार को शराब की बिक्री की अनुमति देनी पड़ी। आर्थिक नुकसान से उबरने के लिए हर जिले में लिकर शॉप खोले गए। किस जिले में महिलाओं के नाम पर कितने शराब ठेके चल रहे हैं, ये भी बताते हैं। आगे पढ़िए

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नेटवर्क 18 डॉट कॉम की न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में 35 शराब की दुकानें महिलाओं के नाम पर हैं। इसी तरह हरिद्वार में 16, नैनीताल में 10, ऊधमसिंहनगर में 16 और पौड़ी में छह दुकानें महिलाओं के नाम पर संचालित हो रही हैं। ये बात और है कि इन दुकानों का संचालन महिलाओं के पति ही करते हैं। महिलाओं के नाम पर इतने शराब ठेके कैसे आवंटित हो गए, ये भी बताते हैं। दून के आबकारी अधिकारी रमेश बंगवाल कहते हैं कि महिलाओं के नाम पर ज्यादा लॉटरी डाली जाती है, इसलिए उनके नाम पर शराब की ज्यादा दुकानें हैं। जबकि राज्य में शराब बेचने के सिलसिले में महिलाओं को न ही कोई छूट है, न ही कोई खास रियायत दी गई है। कई कारोबारी इस बात की पुष्टि भी करते हैं। इस तरह जिस प्रदेश की महिलाओं ने कभी शराब के खिलाफ सड़कों पर उतर कर आंदोलन छेड़े आज उसी प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा शराब ठेके महिलाओं के नाम पर संचालित हो रहे हैं।