उत्तराखंड उत्तरकाशीEducation department negligence in Uttarkashi

उत्तराखंड: छात्रवृति परीक्षा में दो छात्राओं का एक ही रोल नंबर..मायूस होकर घर लौटी एक बच्ची

छात्रवृत्ति परीक्षा के लिए शिक्षा विभाग ने दो छात्राओं को एक ही रोल नंबर दे दिया। जिस वजह से एक बच्ची को बिना परीक्षा दिए वापस लौटना पड़ा।

Uttarkashi News: Education department negligence in Uttarkashi
Image: Education department negligence in Uttarkashi (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: क्या हो, जब आप अपने हक के लिए जी-तोड़ मेहनत करें। बेहतरी की उम्मीद लिए परीक्षा सेंटर पहुंचे, लेकिन वहां आपको अपनी जगह कोई और कॉपी लिखता दिखाई दे। दिल जरूर टूटेगा ना, धोखे का एहसास भी होगा। उत्तरकाशी की रहने होनहार छात्रा अपूर्वा जोशी भी इस वक्त इसी तरह की हताशा से जूझ रही है। शिक्षा विभाग की एक लापरवाही से ये बच्ची छात्रवृत्ति की परीक्षा देने से वंचित रह गई। दरअसल विभाग ने छात्रवृत्ति परीक्षा के लिए दो छात्राओं को एक ही रोल नंबर दे दिया था। जब अपूर्वा परीक्षा देने स्कूल पहुंची तो वहां उसके रोल नंबर पर दूसरी छात्रा परीक्षा दे रही थी। घटना डुंडा विकासखंड की है। जहां शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही के चलते एक होनहार बच्ची छात्रवृत्ति की परीक्षा में नहीं बैठ पाई। ईटीवी की खबर के मुताबिक इस छात्रा का नाम अपूर्वा राणा है। उसने छात्रवृत्ति परीक्षा के लिए खूब मेहनत की थी। तय दिन पर ये छात्रा अपने घर से 40 किलोमीटर दूर छात्रवृत्ति की परीक्षा देने गई। जब वो केंद्र पर पहुंची तो वहां पता चला कि अपूर्वा के रोल नंबर पर ही एक दूसरी छात्रा परीक्षा दे रही है।

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इस कारण अपूर्वा को बिना छात्रवृत्ति की परीक्षा दिए निराश होकर वापस लौटना पड़ा। अपूर्वा के पिता रमेश सिंह राणा निसमोर में रहते हैं। वो राजकीय इंटर कॉलेज कवां एट हाली में कक्षा 10 वीं में पढ़ती है। होनहार अपूर्वा कक्षा 8 और 9 में फर्स्ट और सेकेंड डिविजन से पास हुई। अपूर्वा को उम्मीद थी की 10वीं के लिए उसे छात्रवृत्ति मिल जाएगी, जिससे वो अपनी पढ़ाई जारी रख सकेगी। अपूर्वा खूब तैयारी कर 40 किमी दूर स्थित डुंडा परीक्षा केंद्र में परीक्षा देने पहुंची थी, लेकिन वहां उसी के रोल नंबर पर एक अन्य छात्रा परीक्षा देते दिखी। जिस वजह से अपूर्वा परीक्षा में नहीं बैठ सकी। उसे निराश होकर घर वापस लौटना पड़ा। इस तरह शिक्षा विभाग की लापरवाही ने एक होनहार छात्रा से उसका हक छीन लिया। सरकार बेटियों को पढ़ाने, उन्हें आगे बढ़ाने की बात कह रही है। बच्चियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही इन सारी कोशिशों पर पलीता लगाती दिख रही है।