उत्तराखंड चमोलीTea gardens will be built in Gairsain

उत्तराखंड: गैरसैंण की खूबसूरती बढ़ाएंगे चाय के बागान..स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से चाय बागान विकसित करने और उसमें किसानों को सह-मालिक बनाने को कहा। साथ ही चाय विकास बोर्ड का मुख्यालय ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बनाने का निर्णय भी लिया गया।

Gairsain tea plantation: Tea gardens will be built in Gairsain
Image: Tea gardens will be built in Gairsain (Source: Social Media)

चमोली: पहाड़ वासियों का चाय प्रेम किसी से छिपा नहीं है। भारत में चाय पीने का चलन अंग्रेज लेकर आए थे, लेकिन कुछ ही समय बाद चाय लोगों के ऐसे मुंह लगी कि हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई। कंपकंपी छुड़ाते, ठंडक भरे दिन चाय के सहारे ही बीत रहे हैं। बात करें उत्तराखंड की तो यहां चाय की बिक्री के साथ इसकी पैदावार बढ़ाने और चाय बगान विकसित करने के लिए भी प्रयास हो रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। गुरुवार को चाय विकास बोर्ड का मुख्यालय ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बनाने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे लेकर अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए। इसके अलावा राज्य में चार नई चाय फैक्ट्रियां स्थापित की जाएंगी। गुरुवार को चाय विकास बोर्ड की अहम बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चाय की हरी पत्तियाों का न्यूनतम विक्रय मूल्य निर्धारित करने के लिए समिति बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से चाय बागान विकसित करने और उसमें किसानों को सह-मालिक बनाने को कहा। सीएम ने अधिकारियों को एक महीने के भीतर इस संबंध में व्यवहारिक मॉडल बनाकर कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। कार्ययोजना तैयार करते वक्त किसानों से सुझाव लिए जाएंगे। चाय विशेषज्ञ से भी राय ली जाएगी। आगे पढ़िए

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चाय बागान विकसित करने के बाद किसानों को तकनीकी विशेषज्ञता भी उपलब्ध कराई जाएगी। चाय विकास बोर्ड का मुख्यालय ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बनेगा। मुख्यमंत्री ने चमोली जिलाधिकारी से इसके लिए जमीन तलाशने को कहा है। यही नहीं चाय बागान के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने के भी प्रयास किए जाएंगे। सीएम ने जिलाधिकारियों को टी-टूरिज्म पर भी फोकस करने के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि बोर्ड की तरफ से अब तक कुल 1387 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर चाय प्लांटेशन किया जा चुका है। जिसमें अनुमानित 4,000 श्रमिक काम कर रहे हैं। कार्य करने वाले लोगों में 70 प्रतिशत भागीदारी महिलाओं की है। वर्तमान में बोर्ड द्वारा चाय को 'उत्तराखंड-टी' नाम से बेचा जा रहा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने किसी भी वजह से बंद पड़ी निजी चाय फैक्ट्रियों को दोबारा चलाने के प्रयास करने के निर्देश भी दिए हैं। ताकि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो सकें।