उत्तराखंड देहरादूनElectricity rate may increase in uttarakhand

उत्तराखंड में महंगी हो सकती है बिजली...जानिए क्या हो सकते हैं नए दाम

जो लोग बिजली की ज्यादा खपत करते हैं, उनके लिए बिजली की बचत शुरू करने का समय आ गया है। उपभोक्ताओं को आने वाले दिनों में बिजली मूल्य बढ़ोतरी का झटका लग सकता है।

Uttarakhand electricity rate: Electricity rate may increase in uttarakhand
Image: Electricity rate may increase in uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: कोरोना काल के बीच ऊर्जा निगम ने उपभोक्ताओं को तगड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है। एक बार फिर बिजली की नई दर निर्धारित करने की कवायद शुरू हो गई है। लाइव हिन्दुस्तान की खबर के मुताबिक ऊर्जा निगम ने उत्तराखंड में बिजली दरों में करीब दस प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया है। इसे यूपीसीएल की बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। बोर्ड की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग भेजा जाएगा। आयोग जनसुनवाई प्रक्रिया के बाद इसे फाइनल करेगा। इस तरह जो लोग बिजली की ज्यादा खपत करते हैं, उनके लिए बिजली की बचत शुरू करने का समय आ गया है. उपभोक्ताओं को आने वाले दिनों में बिजली मूल्य बढ़ोतरी का झटका लग सकता है।यूपीसीएल ने बिजली मूल्य बढ़ोतरी की तैयारी कर ली है। प्रस्ताव तैयार है। हर साल नवंबर के आखिरी हफ्ते तक प्रस्ताव को आयोग को भेज दिया जाता था, लेकिन इस बार आयोग को प्रस्ताव भेजने में एक महीने की देरी हो गई है।

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अभी नई दरों का प्रस्ताव पहले बोर्ड के सामने रखा जाएगा। 24 दिसंबर को बोर्ड की बैठक होनी है। जिसमें सभी सदस्य प्रस्ताव को जांच परख कर इसे फाइनल करेंगे। बाद में आयोग इसे लेकर पूरे राज्य में जन सुनवाई करेगा। आम जनता, उद्योगों, कॉमर्शियल समेत सभी पक्षों से सुझाव लिए जाएंगे। मार्च के आखिरी हफ्ते में नई बिजली दरों पर अंतिम मुहर लगेगी। इस तरह एक अप्रैल से नई दरें लागू हो जाएंगी। इस वक्त घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली औसत 4.44 रुपये प्रति यूनिट की दर से मिल रही है। कॉमर्शियल उपभोक्ताओं को 6.38 रुपये, एलटी श्रेणी के औद्योगिक उपभोक्ताओं को 6.03 रुपये और एचटी श्रेणी के उपभोक्ताओं को 6.06 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा रही है। बोर्ड ने फिलहाल सिर्फ प्रस्ताव तैयार किया है, आखिरी फैसला आयोग को लेना है। नियामक आयोग ने साल 2018-19 में घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरों में फेरबदल नहीं किया था। यही स्थिति वर्ष 2019-20 में भी रही। वहीं इस साल मौजूदा दरों में कटौती कर दी गई थी। इस वक्त ऊर्जा निगम भी घाटे से जूझ रहा है। राज्य में सालाना लाइन लॉस से ऊर्जा निगम को 900 करोड़ का घाटा होता है। अगर राज्य में बिजली चोरी पर लगाम लगे तो बिजली सस्ती हो सकती है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।