चमोली: बीते रविवार को चमोली में आई आपदा में रैणी गांव में श्रमिकों का एक समूह मिला है। यह वे श्रमिक हैं जिनके परिवार वालों ने उनसे संपर्क ना होने के बाद उनको लापता मान लिया था। यह श्रमिक उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में काम करने के लिए उत्तर प्रदेश के मेरठ और अनेक विभिन्न स्थानों से आए थे। यह सभी श्रमिक आपदा के समय वहां पर मौजूद नहीं थे। आपदा के बाद से ही यह अपने परिजनों से संपर्क करने का और अपने घरों में लौटने का इंतजार कर रहे थे। श्रमिकों के अनुसार उनके परिवार वालों को लगा कि वे बाढ़ में बह गए हैं मगर टूटे पुल, सड़क और मोबाइल कनेक्टिविटी ना होने के कारण वे जोशीमठ के दूसरी तरफ फंसे हुए थे और किसी से भी संपर्क नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने रैणी गांव पहुंचने के बाद आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों से संपर्क साधा और अपने परिजनों से बात की। उनके परिवार वालों ने उनको बात करने के दौरान बताया कि उन्होंने उन श्रमिकों लापता मान लिया था। श्रमिकों का कहना है कि उनके परिजनों ने उनके गुमशुदगी की शिकायत स्थानीय पुलिस में दर्ज कराई थी क्योंकि वे कई दिनों से उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे थे।
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मिले गए श्रमिकों में से एक श्रमिक का कहना है कि वह उन 5 लोगों में शामिल था जिसको लापता मान लिया गया था। उन्होंने अपने परिजनों से संपर्क करने की बहुत कोशिश की मगर मोबाइल नेटवर्क ना होने की वजह से वे अपने परिजनों से संपर्क नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने बताया कि जब वे सारे लोग रैणी गांव के अंदर आए तब उन्होंने अपने परिजनों से बात की। उनके परिजनों ने बताया कि आपदा के बाद और श्रमिकों को लापता मानकर उन्होंने स्थानीय पुलिस में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। जैसे ही वे सारे श्रमिक रैणी गांव पहुंचे उन्होंने तुरंत ही अपने परिजनों को फोन करके अपनी सही सलामत होने की शुभ सूचना दी। उन्होंने कहा कि मेरे फोन आने के बाद मेरा पूरा परिवार बेहद खुश है। वे चाहते हैं कि मैं जल्द से जल्द वापस लौटूं।
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वहीं रैणी गांव पहुंचे एक और लापता श्रमिक सनी दत्त ने बताया कि उनको बाढ़ का पता तब लगा जब हम अन्य लोगों के लिए दूरदराज के गांव में एक कंपनी के मोबाइल नेटवर्क को लगाने के लिए काम कर रहे थे। हमें नीचे आने में लगभग तीन दिन लग गए। जहां पर हमें मोबाइल नेटवर्क मिला तो हमने अपने परिवार वालों से संपर्क किया। चमोली जिले से आई ताजा अपडेट के अनुसार अबतक ग्लेशियर फटने के बाद से 32 शवों को बरामद कर लिया गया है, जबकि तपोवन सुरंग के अंदर 25 से 35 लोग फंसे हुए हैं। वहीं कुल 206 लोग लापता हो रखे हैं जिनकी खोजबीन की जा रही है।