देहरादून: उत्तराखंड की मशरूम गर्ल दिव्या रावत ने एक बार फिर से उत्तराखंड को गर्व करने का मौका दिया है। मशरूम से देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अलग पहचान बना चुकी दिव्या रावत को केंद्र सरकार उर्वरक मंत्रालय में फर्टिलाइजर एडवाइजरी फोरम (FAF) सदस्य /सलाहकार नियुक्त किया गया है । यह कमेटी मंत्रालय के संचालन एव महत्वपूर्ण निर्णय में सलाह देने का कार्य करेगी। मूलरूप से चमोली जिले के कंडारा गांव की दिव्या रावत मशरूम की खेती से अब सालाना एक करोड़ से ज्यादा कमाई कर रही हैं। उनकी बदौलत पहाड़ में कई युवाओं और बेटियों को रोजगार भी मिला है। दिव्या उन बेटियों में शामिल हैं, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति अवार्ड से सम्मानित किया गया है। मशरूम की बिक्री और लोगों को ट्रेनिंग देने के लिए दिव्या ने 'सौम्या फ़ूड प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी' भी बनाई है। इसका टर्नओवर अब सालाना करीब 1 करोड़ तक पहुंच गया है।
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दिव्या अब लैब में कीड़ा जड़ी (यारशागुंबा) के प्रोडक्ट तैयार कर रही हैं। अपने इस काम की बदौलत वो हर साल ना सिर्फ करोड़ों रुपये का टर्नओवर अर्जित कर रही हैं, बल्कि पहाड़ में सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दे रही हैं। दिव्या ट्रेनिंग टू ट्रेडिंग कांसेप्ट पर काम कर रही हैं। आज हम दिव्या रावत की सिर्फ सफलता देखते हैं, लेकिन इस सफलता के पीछे उनका कड़ा संघर्ष छिपा है। बात साल 2011-12 की है, दिव्या दिल्ली में नौकरी करती थीं, उन्हें हर महीने 25 हजार रुपये मिलते थे। दिव्या अपने गांव जाकर कुछ अलग करना चाहती थीं। उन्होंने हिम्मत जुटाई और नौकरी छोड़कर देहरादून चली गई। साल 2013 में उन्होंने मोथरोवाला में एक कमरे में सौ बैग मशरूम उगाए। धीरे-धीरे सफलता मिलती गई। और दिव्या का उगाया मशरूम देहरादून से लेकर दिल्ली तक बिकने लगा। उन्हें उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश बुलाया जाने लगा, जहां दिव्या ने कई लोगों को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दी। आज दिव्या के उगाए मशरूम प्रोडक्ट देश ही नहीं विदेशों में भी बिक रहे हैं।