उत्तराखंड रुद्रप्रयागLand is sinking in Rudraprayag Semi village

रुद्रप्रयाग के सेमी गांव में भी आ सकती है चमोली जैसी तबाही..लगातार धंस रही जमीन

सेमी गांव की जमीन लगातार धंस रही है। कई मकान ढहने के कगार पर हैं। ग्रामीणों की चिंता की एक और वजह है। आगे पढ़िए पूरी खबर

Rudraprayag Semi Village: Land is sinking in Rudraprayag Semi village
Image: Land is sinking in Rudraprayag Semi village (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: चमोली के रैणी गांव में आई आपदा उत्तराखंड को कभी न भूलने वाला दर्द दे गई। रैणी के लोग अब तक सदमे में हैं, यहां हर जगह तबाही के निशान बिखरे हैं। रैणी का हाल देख रुद्रप्रयाग के सेमी गांव के लोग भी डरे हुए हैं। दरअसल सेमी गांव भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र है। यहां मंदाकिनी तट के किनारे बने बैराज क्षेत्र में सुरक्षा दीवार नहीं है। साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा के दौरान इस क्षेत्र में जमकर तबाही हुई थी। उस आपदा में गांव के दर्जन भर से अधिक आवासीय भवन और लॉज ढह गए थे। घरों में मोटी-मोटी दरारें आ गई थीं। जियोलॉजिकल सर्वे ने भी सेमी गांव को अतिसंवेदनशील जोन में चिन्हित किया है। अब यहां आवास बनाना या रहना खतरे से खाली नहीं है। साल 2013 में आई आपदा के वक्त गांव में बना दो सौ मीटर मोटरमार्ग जमींदोज हो गया था। पिछले 8 साल से इस क्षतिग्रस्त मोटर मार्ग को बनाने में विभाग ने करोड़ों रुपये खर्च कर दिए, लेकिन रास्ता बन नहीं पाया। सेमी गांव की जमीन लगातार धंस रही है। कई मकान ढहने के कगार पर हैं। आगे पढ़िए

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - चमोली आपदा: 62 शव और 28 मानव अंग बरामद..दम तोड़ने लगी उम्मीदें
ग्रामीणों की चिंता की एक और वजह है। दरअसल यहां 99 मेगावाट की सिंगोली भटवाड़ी जल विद्युत परियोजना की कार्यदायी संस्था एलएंडटी ने कुंड बैराज पर पावर हाउस का निर्माण कराया है। आने वाले दिनों में कंपनी इस प्रोजेक्ट को सरकार को सौंप देगी। कंपनी ने यहां बैराज तो बना दिया, लेकिन किनारों पर सुरक्षा दीवार नहीं बनाई। कंपनी ने स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम भी नहीं उठाए। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि मंदाकिनी नदी के तट पर जो भी सुरक्षा दीवार निर्मित की गई है, वो कई स्थानों से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। कई जगहों पर तो सुरक्षा दीवार बनाई ही नहीं गई। जिस वजह से आस-पास की जमीन कभी भी धंस सकती है। पिछले दिनों कंपनी ने कहा था कि सेमी गांव के अस्तित्व और डैम की मजबूती के लिए मंदाकिनी नदी के तट पर मजबूत सुरक्षा दीवार निर्मित की जायेगी, लेकिन अब कम्पनी अपने वायदे से मुकर रही है। कंपनी की मनमानी सेमी गांव के लोगों पर भारी पड़ सकती है। मंदाकिनी नदी के किनारे सुरक्षा दीवार नहीं बनी तो भविष्य में यहां भी रैणी जैसी तबाही आ सकती है।