उत्तराखंड चमोली67 bodies found in Chamoli

चमोली आपदा: अब तक 67 लाश बरामद,139 लोग लापता..टूटने लगी उम्मीदें

बीते शनिवार को तपोवन क्षेत्र में सुरंग से पांच और शवों को बरामद किया गया। इसके साथ ही अब तक कुल 67 शवों को बरामद कर लिया गया है।

Chamoli disaster: 67 bodies found in Chamoli
Image: 67 bodies found in Chamoli (Source: Social Media)

चमोली: चमोली में आई आपदा अपने पीछे कई बिलखते हुए लोगों को छोड़ गई है। कई कहानियां अधूरी रह गई हैं। कितने ही बेकसूर मौत के मुंह में जा चुके हैं। कितने ही लोग लापता हो रखे हैं। उनके परिजन उनके लौटने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। हर कोई बस यही उम्मीद कर रहा है कि लापता लोग जल्द से जल्द मिल जाएं। 7 फरवरी को तपोवन में आई आपदा को कुल 15 दिन बीत चुके हैं और इस बीच तपोवन क्षेत्र में लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है और लापता लोगों की तलाश की जा रही है। इसी के साथ शवों की खोजबीन का काम भी युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। पिछले 15 दिनों से लगातार बीआरओ के जवान एसडीआरएफ और सेना के जवान राहत एवं बचाव का कार्य कर रहे हैं।

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आपदा के वक्त तपोवन डैम और टनल में काम कर रहे कई लोग आपदा के बाद से ही लापता हो रखे हैं और उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है। बता दें कि आपदा के बाद से क्षेत्र में 204 लोग लापता हो गए हैं जिनको ढूंढने के लिए लगातार प्रयास जारी है। अब तक कुल 67 शवों को बरामद किया जा चुका है। बीते शनिवार को तपोवन क्षेत्र में सुरंग से पांच और शव को बरामद किया गया। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि चमोली जिले के तपोवन धाम के मलबे से बीते शनिवार को पांच और शव बरामद किए गए हैं। इसके साथ ही अब तक कुल 67 शवों को बरामद कर लिया गया है। अभी तक कुल 34 शवों की शिनाख्त हो चुकी है जबकि 139 लापता व्यक्तियों की तलाश अभी जारी है।

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वहीं झील के अध्ययन और निरीक्षण के लिए देहरादून से 14 सदस्यी दल ग्राउंड जीरो पर पहुंच चुका है। जिला अधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि शुक्रवार को देहरादून से यह दल रवाना हुआ और शनिवार को यह दल झील स्तर पर पहुंच गया है। जिला अधिकारी का कहना है कि दल द्वारा एक विस्तृत रिपोर्ट बाद में प्रशासन को सौंप दी जाएगी। आपको बता दें कि एसडीआरएफ वैज्ञानिकों का 14 सदस्यी दल तपोवन क्षेत्र में पहुंचा और ग्लेशियर के तलहटी क्षेत्र में पहुंचा। यहीं बनी झील से 7 फरवरी को तपोवन इलाके में आपदा आई थी। यह ऋषि गंगा का जलागम क्षेत्र है। यह दल झील का अध्ययन करेगा और निरीक्षण करेगा और इसके बाद झील से उत्पन्न खतरे का आंकलन कर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रशासन को सौंपेगा।