उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालKotdwar will be known as Kanva Nagari

उत्तराखंड: अब कण्व नगरी के नाम से जाना जाएगा कोटद्वार..CM ने लगाई मुहर

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नगर निगम कोटद्वार का नाम बदलकर कण्व ऋषि के नाम पर कण्व नगरी कोटद्वार रखने पर स्वीकृति प्रदान की है।

Kanv Nagri Kotdwar: Kotdwar will be known as Kanva Nagari
Image: Kotdwar will be known as Kanva Nagari (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड से एक बड़ी खबर है। अब आप कोटद्वार नाम भूल जाइए क्योंकि अब इस खूबसूरत शहर को कण्व नगरी के नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नगर निगम कोटद्वार का नाम बदलकर कण्व ऋषि के नाम पर कण्व नगरी कोटद्वार रखने पर स्वीकृति प्रदान की है। अब कोटद्वार नगर निगम को कण्व नगरी नगर निगम के नाम से जाना जायेगा। दरअसल स्थानीय लोग लंबे समय से कोटद्वार के नाम को बदले जाने को लेकर कई बार मांग कर चुके हैं। अब ऐसे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोटद्वार का नाम कण्व ऋषि के नाम पर रखने की मंजूरी दे दी है। कण्वाश्रम चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली है, जिसे केंद्र सरकार ने देश के 32 आइकॉनिक स्थलों में शामिल किया है। कोटद्वार भाबर क्षेत्र की प्रमुख एतिहासिक धरोहरों में कण्वाश्रम सर्वप्रमुख है जिसका पुराणों में विस्तृत उल्लेख मिलता है। हजारों वर्ष पूर्व पौराणिक युग में जिस मालिनी नदी का उल्लेख मिलता है वह आज भी उसी नाम से पुकारी जाती है। तथा भाबर के बहुत बड़े क्षेत्र को सिंचित कर रही है। कण्वाश्रम शिवालिक की तलहटी में मालिनी के दोनों तटों पर स्थित छोटे-छोटे आश्रमों का प्रख्यात विद्यापीठ था। यहां मात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा थी इसमें वे शिक्षार्थी प्रविष्ट हो सकते थे। जो सामान्य विद्यापीठ का पाठ्यक्रम पूर्ण कर और अधिक अध्ययन करना चाहते थे।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड रोजगार समाचार: UKSSSC में 541 पदों पर भर्ती..26 मार्च तक करें आवेदन
आगे पढ़िए कण्वाश्रम चारों वेदों, व्याकरण, छन्द, निरुक्त, ज्योतिष, आयुर्वेद, शिक्षा तथा कर्मकाण्ड इन ६ वेदांगों के अध्ययन-अध्यापन का प्रबन्ध था। आश्रमवर्ती योगी एकान्त स्थानों में कुटी बनाकर या गुफाओं के अन्दर रहते थे। यह कण्वाश्रम कण्व ऋषि का वही आश्रम है जहां हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त तथा शकुन्तला के प्रणय के पश्चात "भरत" का जन्म हुआ था, कालान्तर में इसी नारी शकुन्तला पुत्र भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। शकुन्तला ऋषि विश्वामित्र व अप्सरा मेनका की पुत्री थी। पौड़ी गढ़वाल जिले के प्रवेश द्वार कोटद्वार स्थित कलालघाटी का भी नाम बदला गया है। उसे अब कण्वघाटी के नाम से जानी जा रहा है। कोटद्वार नगर निगम ने कलालघाटी का नाम बदलकर कण्वघाटी करने के शासन को प्रस्ताव भेजा था, जिसपर पिछले साल दिसंबर में मुहर लगाई थी।