हरिद्वार: स्वर्गाश्रम स्थित औषधि निर्माण शाला को हरिद्वार के सिडकुल में शिफ्ट किए जाने का विरोध कर रहे संत आचार्य निराला की एम्स ऋषिकेश में मौत हो गई। आचार्य निराला गीता भवन स्वर्गाश्रम स्थित औषधि निर्माण शाला को सिडकुल हरिद्वार में शिफ्ट किए जाने के विरोध में आमरण अनशन पर थे। वो पिछले पांच दिनों से बिना कुछ खाए अनशन पर बैठे थे। शुक्रवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई। जिसके बाद रात को उन्हें एम्स हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया, लेकिन वो बच नहीं सके। बता दें कि गीता भवन स्वर्गाश्रम स्थित औषधि निर्माण शाला को हरिद्वार सिडकुल में शिफ्ट किया जा रहा है। कर्मचारी इसके विरोध में दो महीने से आंदोलनरत हैं। 59 साल के संत आचार्य निराला भी पिछले पांच दिन से आमरण अनशन पर बैठे थे। शुक्रवार को तबीयत बिगड़ने पर पुलिस टीम ने उन्हें ऋषिकेश के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। आगे पढ़िए
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अस्पताल प्रशासन ने उन्हें गंभीर हालत में एम्स रेफर कर दिया था। जहां उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था। मंगलवार को उपचार के दौरान उनका निधन हो गया। संत पी निराला आचार्य का जन्म 26 जुलाई 1963 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ था। उनका वास्तविक नाम पुखराज निराला था। संत निराला गीता भवन ट्रस्ट कर्मचारियों को न्याय दिलाने के लिए अनशन पर बैठे थे। बताया जा रहा है कि संत ने सीएम को पत्र भेजकर 15 मार्च से अनशन की चेतावनी दी थी। मंगलवार को कर्मचारियों के हित के लिए उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। वहीं संत निराला के निधन का समाचार जैसे ही आंदोलनकारी कर्मचारियों को मिला वो बिलखने लगे। कर्मचारियों में संत के निधन को लेकर दुख के साथ गुस्सा भी है। कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने संत के निधन पर शोक जताते हुए गीता भवन ट्रस्ट प्रबंधन के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है।