उत्तराखंड बागेश्वरKapkot strawberry farming

उत्तराखंड: लॉकडाउन में घर लौटे प्रवासी, शुरू की स्ट्रौबरी की खेती..10 लाख मुनाफा

पारंपरिक खेती से जहां काश्तकारों को 20 हजार रुपये प्रतिवर्ष की आय होती थी, वहीं स्ट्रॉबेरी की खेती से प्रवासी हर साल दस लाख रुपये तक कमा रहे हैं। विधायक बलवंत भौर्याल ने भी प्रवासियों की मेहनत की सराहना की।

Strawberry farming uttarakhand: Kapkot strawberry farming
Image: Kapkot strawberry farming (Source: Social Media)

बागेश्वर: परिश्रम सही दिशा में हो तो मिट्टी से मोती उगाए जा सकते हैं। इस कहावत को सच होते देखना है तो बागेश्वर चले आइए, जहां स्ट्रॉबेरी की खेती प्रवासी ग्रामीणों के जीवन में खुशियों के रंग भरने लगी है। पारंपरिक खेती से जहां काश्तकारों को 20 हजार रुपये प्रतिवर्ष की आय होती थी, वहीं स्ट्रॉबेरी की खेती से प्रवासी हर साल दस लाख रुपये तक कमा रहे हैं। बागेश्वर के कपकोट में स्थित दुर्गम गांवों में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है। कोरोना के चलते जिन प्रवासियों ने अपना रोजगार गंवा दिया था, उन्हें स्ट्रॉबेरी की खेती के माध्यम से आय का नया जरिया मिला है। क्षेत्र के विधायक बलवंत भौर्याल ने भी प्रवासियों की मेहनत की सराहना की।मंगलवार को विधायक और जलागम के डीपीडी ने स्ट्रॉबेरी के खेतों का संयुक्त रूप से निरीक्षण किया। इस मौके पर विधायक बलवंत भौर्याल ने कहा कि प्रवासियों को रोजगार से जोड़ने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। क्षेत्र के प्रवासी स्ट्रॉबेरी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। जिससे उनकी आय में भी इजाफा होगा। जलागम के डीपीडी ललित रावत ने कहा कि प्रवासी महिपाल कोरंगा समेत 8 प्रवासी समूह बनाकर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: IAS दीपक रावत के सामने बैरागी संतों ने खोया आपा.. जानिए वजह
वर्तमान में इन्हें 25 हजार पौधे दिए गए हैं। मूल्य 250 रुपये प्रति किलोग्राम रखा गया है। व्यापारी गांव में आकर स्ट्रॉबेरी खरीद रहे हैं। प्रवासियों को पिछले एक साल में लगभग दस लाख रुपये की आय हुई है। कपकोट के प्रवासी काश्तकारों की मेहनत से दूसरे क्षेत्रों के किसानों को भी परंपरागत खेती से हटकर कुछ अलग करने की सीख मिलेगी। स्ट्रॉबेरी का इस्तेमाल ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में किया जाता है। जैम, जूस, मिल्क शेक, टॉफी और आइसक्रीम बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता है। भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत साल 1960 में उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के कुछ पहाड़ी इलाकों में की गई थी। उत्तराखंड में इसके बेहद सफल नतीजे मिले हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती से कपकोट के प्रवासी काश्तकारों की आर्थिक स्थिति मजबूत बन रही है, जो कि सुखद बदलाव है। खेती के बदले ट्रेंड को देखने के लिए अब आप पास के गांव के किसान भी उनके खेत में आ रहे हैं।