उत्तराखंड देहरादूनDal poshit yojna may close soon in uttarakhand

उत्तराखंड: पूर्व CM त्रिवेंद्र की एक और योजना बंद करने की तैयारी..मिली शिकायत

सीएम दाल पोषित योजना की शुरुआत साल 2019 में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की थी। कई शिकायतें मिलने के बाद इस योजना को बंद करने की तैयारी चल रही है।

Dal poshit yojna: Dal poshit yojna may close soon in uttarakhand
Image: Dal poshit yojna may close soon in uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: कोरोना को हराने के बाद सीएम तीरथ सिंह रावत एक बार फिर एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। प्रदेश की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने शासन-प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त करने का काम किया, साथ ही पूर्ववर्ती सरकार के कुछ निर्णयों को पलटने में भी देर नहीं लगाई। अब पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय में शुरू हुई एक और योजना को खत्म करने की तैयारी चल रही है। तीरथ सरकार ने सीएम दाल पोषित योजना को लेकर समीक्षा शुरू कर दी है। ये योजना पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में शुरू हुई थी। राशन डीलरों से लगातार मिल रही शिकायतों को देखते हुए सरकार ने इस योजना की समीक्षा शुरू कर दी है। सोमवार को खाद्य मंत्री बंशीधर भगत ने इसके संकेत दिए। खाद्य मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि सरकार इस योजना की समीक्षा कर रही है। दाल की गुणवत्ता और महंगे होने को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। भगत ने योजना को बंद करने की संभावना से इनकार नहीं किया है। उन्होंने कहा कि जनहित को ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

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यहां आपको दाल पोषित योजना के बारे में भी जानना चाहिए। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 12 सितंबर 2019 को दाल पोषित योजना शुरू की थी। योजना के तहत राज्य के 9225 सरकारी राशन की दुकानों के माध्यम से 23 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को हर महीने दो-दो किलो दाल दी जा रही है। ये दाल बाजार भाव से कम कीमत में उपलब्ध कराई जाती है। इसे लेकर राशन डीलरों का कहना है कि दाल की गुणवत्ता अच्छी नहीं है, मूल्य भी बाजार भाव से ज्यादा है। दाल को भिगोने पर इसमें कीड़े निकल रहे हैं। इसे पकने में समय भी ज्यादा लगता है। उत्तराखंड सरकारी सस्ता गल्ला विक्रेता परिषद के प्रदेश अध्यक्ष जीतेंद्र गुप्ता ने कहा कि दाल योजना बुरी तो नहीं है, लेकिन इसका मूल्य कम करना होगा। साथ ही गुणवत्ता को भी बेहतर बनाने की जरूरत है। योजना को लेकर सरकार को लगातार शिकायतें मिल रही हैं, ऐसे में इसे जल्द ही बंद करने का निर्णय लिया जा सकता है।