देहरादून: कोरोना संकट ने उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग की कमर तोड़कर रख दी। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान पर्यटन उद्योग से जुड़ी ज्यादातर गतिविधियां ठप रहीं। अनलॉक में ढील मिली तो होटल-रेस्टोरेंट फिर से खुलने लगे, पर्यटकों की आमद भी बढ़ रही थी, लेकिन अब सबकुछ फिर से थमने लगा है। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों और राज्य सरकार की सख्ती को देखते हुए पर्यटक उत्तराखंड आने से कतराने लगे हैं। अप्रैल में महीने के दूसरे शनिवार और बैसाखी की छुट्टी के लिए मसूरी और नैनीताल में पर्यटकों ने जो बुकिंग कराई थी, उसमें से 80 फीसदी बुकिंग कैंसिल करा दी गईं। आने वाले दिनों के लिए जो बुकिंग कराई गई हैं, उन्हें भी कैंसिल कराने का सिलसिला लगातार जारी है। कभी पर्यटकों से गुलजार रहने वाले नैनीताल और मसूरी में सन्नाटा पसरा है। कोरोना संक्रमण रोकथाम के लिए सरकार द्वारा की गई सख्ती जरूरी भी है, लेकिन व्यापार प्रभावित होने से होटल और रेस्टोरेंट कारोबारी खासे चिंतित हैं।
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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में सफारी के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या भी घटकर आधे से कम रह गई है। बात करें मसूरी की तो यहां लगभग 350 होम स्टे, गेस्ट हाउस, रिजॉर्ट और होटल हैं। बुधवार शाम तक इनमें सिर्फ 15 से 20 फीसदी कमरे ही बुक थे। कई होटल तो ऐसे भी हैं जो तीन-चार दिन से खाली पड़े हैं। अप्रैल में गुजरात और महाराष्ट्र से लाखों पर्यटक उत्तराखंड पहुंचते थे, लेकिन इन राज्यों में कोरोना संक्रमण बढ़ने की वजह से पर्यटकों के कदम थम गए हैं। नैनीताल में भी करीब पांच सौ होटल और रेस्टोरेंट हैं, लेकिन यहां भी पर्यटकों की आमद घटती जा रही है। बुकिंग निरस्त होने से यहां सिर्फ होटल और गेस्ट हाउस ही नहीं नौकायन और घुड़सवारी संबंधी कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। होटल व्यवसायियों के लिए बिजली-पानी का बिल भरना तक मुश्किल हो गया है। ऐसे में होटल व्यवसायी सरकार से बिजली, पानी व सीवर के शुल्क में छूट देने की मांग कर रहे हैं।