नैनीताल: कभी रुद्रप्रयाग, कभी नैनीताल, कभी टिहरी, कभी पिथौरागढ़, कभी देवप्रयाग तो कभी उत्तरकाशी...उत्तराखंड में बीते कुछ दिनों में लगातार बादल फटने की घटनाएँ सामने आ रही हैं। सवाल ये है कि आखिर उत्तराखंड में लगातार इस तरह से बादल फटने की घटनाएं क्यों हो रही हैं? एक्सपर्ट्स की इस पर क्या राय है? आइए आपको बता देते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती परिसंचरण(Cyclonic circulation), अरब सागर में बना चक्रवाती परिसंचरण और गुजरात तट के पास पश्चिमी विक्षोभ (western disturbance) के सक्रिय होने से मौसम का मिजाज बदल गया है। गोविंद बल्लभ पंत कृषि विवि के मौसम वैज्ञानिक प्रो. आरके सिंह ने इस बारे में कुछ खास बातें बताई हैं। एक समाचार पत्र से बातचीत में उन्होंने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के कारण पहाड़ में मानसून से पहले ही बारिश हो रही है। आगे पढ़िए
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खास बात ये है कि पश्चिमी विक्षोभ अप्रैल के अंत तक ही सक्रिय रहता है लेकिन इस बार ये मई तक तक खिंच गया है। साथ ही बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के गुजरात तट केे पास चक्रवाती परिसंचरण (Cyclonic circulation) के साथ नमी युक्त हवाएं उत्तर की ओर आ रही हैं।ये नमी युक्त बादल पहाड़ में ऊंचाई वाले स्थान पर एकत्र होते हैं , तो तापमान ठंडा होने की वजह से हवा की अत्यधिक नमी पानी में बदलकर अतिवृष्टि कर रही है। इसे आम भाषा में बादल फटना कह सकते हैं। इसी समाचार पत्र से बातचीत में गढ़वाल केंद्रीय विवि में भौतिक विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. आलोक सागर गौतम का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और स्थानीय मौसम में बदलाव के कारण आए दिन ज्यादा बारिश होने की घटनाएं हो रही हैं। पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता और थंडर स्टार्म गतिविधियों के सक्रिय होने से मैदान से लेकर पहाड़ तक मौसम का मिजाज बदल रहा है।