बागेश्वर: हौसला, जज्बा, लगन और मेहनत की बदौलत इंसान सारी बाधाओं पर विजय पा सकता है। बागेश्वर के होनहार पंकज परिहार ने भारतीय सेना में अफसर बनकर इस बात को सच साबित कर दिया। चेन्नई में हुई पासिंग आउट परेड में अंतिम पग पार करते ही पंकज भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन गए। पंकज बागेश्वर की कत्यूर घाटी में स्थित बूंगा गांव के रहने वाले हैं। उनके सेना में लेफ्टिनेंट बनने पर गांव में खुशी का माहौल है। हर कोई पंकज की इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहा है। आज हम पंकज की सफलता देख रहे हैं, लेकिन पहाड़ के छोटे से गांव से निकल कर सेना में अफसर बनने तक का उनका सफर बेहद मुश्किल भरा रहा। एक खबर के मुताबिक पंकज के पिता भगवत सिंह परिहार मिस्त्री का काम करते हैं। माता राधा देवी गृहणी हैं। पंकज की तीन बहनें हैं। वो परिवार के एकलौते बेटे हैं, इसलिए बचपन से ही अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगे थे। परिवार में आर्थिक दिक्कतें थीं, लेकिन पंकज ने हार नहीं मानी। पंकज ने पांचवी तक की पढ़ाई सेंटर स्कूल ग्वालदम से की।
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पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाले पंकज बाद में अपनी मौसी के साथ लखनऊ चले गए। वहां सेंटर स्कूल से उन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की। वो हमेशा से सेना में अफसर बनना चाहते थे। इसके लिए पंकज ने खूब मेहनत की और आखिरकार अपने सपने को सच करने में कामयाब रहे। पंकज के पिता ने बताया कि एक मिस्त्री के बेटे के लेफ्टिनेंट बनने पर पूरा गांव खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। वो बेटे के कंधे पर खुद सितारे लगाना चाहते थे, लेकिन कोरोना की वजह से पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं हो सके। उनका होनहार बेटा जल्द ही घर आने वाला है। गांव के पूर्व सरपंच बसंत बल्लभ जोशी ने कहा कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती, यह पंकज ने साबित कर दिया। उसने अपनी मेहनत से माता-पिता के साथ ही गांव का नाम रोशन किया है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भी पंकज की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए, उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।