उत्तराखंड देहरादूनcoronavirus positive negative report in doon medical college

देहरादून में बड़ा फर्जीवाड़ा: कोरोना पॉजिटिव को दिखाया नेगेटिव..नेगेटिव को दिखाया पॉजिटिव

देहरादून जिले के दून मेडिकल कॉलेज में एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो गया है जिसमें पॉजिटिव मरीज को नेगेटिव और नेगेटिव मरीज को पॉजिटिव दिखाकर एक बड़ा घपला किया गया है।

Coronavirus in uttarakhand: coronavirus positive negative report in doon medical college
Image: coronavirus positive negative report in doon medical college (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड के देहरादून से एक बड़ी खबर सामने आई है। उत्तराखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज में एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो गया है जिसके बाद अधिकारियों के बीच में हड़कंप मचा हुआ है। एक खबर के मुताबिक यहां कोरोना जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है देहरादून जिले के दून मेडिकल कॉलेज में। देहरादून में पॉजिटिव मरीज को नेगेटिव नेगेटिव मरीज को पॉजिटिव दिखाकर एक बड़ा घपला किया गया है। एक तरफ कोरोना का कहर है तो दूसरी तरफ राज्य में कोरोना रिपोर्ट्स के साथ इस प्रकार का बेहूदा खिलवाड़ किया जा रहा है। आपको बता दें कि इससे पहले भी दून मेडिकल कॉलेज में कोरोना रिपोर्ट्स को लेकर एक बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ था जहां लेबोरेटरी के अंदर से सैंपल की जांच करवा कर बाहर लोगों से हजारों रुपए वसूल किए जा रहे थे। एक बार फिर से दून मेडिकल कॉलेज सुर्खियों में आ चुका है और यहां पर रिपोर्ट्स के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। पॉजिटिव मरीज को दून मेडिकल कॉलेज में नेगेटिव मरीज और नेगेटिव को पॉजिटिव दिखाया जा रहा है। इस पूरे फर्जीवाड़े में बड़े अधिकारियों का नाम भी सामने आ सकता है।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - देहरादून में व्यापारियों का प्रदर्शन, सरकार का मंथन शुरू..बाजार खोलने पर बन सकती है बात
बता दें कि दून मेडिकल कॉलेज में आईसीएमआर के पोर्टल से रिपोर्ट लेकर उसमें मरीज का नाम बदला गया। इसमें पॉजिटिव मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव दिखाई गई और नेगेटिव मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव। 25 मई को एक व्यक्ति की जांच हुई जिसमें मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आई मगर उसको पॉजिटिव दिखाया गया तो वहीं नेगेटिव व्यक्ति को पॉजिटिव दिखाया गया। यह भंडाफोड़ हुआ जब अस्पताल के एमएस डॉक्टर केसी पंत को रिपोर्ट्स पर शक हुआ। उन्होंने देखा कि न केवल रिपोर्ट्स में शाब्दिक गलतियां हैं बल्कि रिपोर्ट का क्यूआर कोड भी गायब है। जब उन्होंने रिपोर्ट की जांच की तब पता लगा कि यह रिपोर्ट महाराष्ट्र के किसी युवक की है। जब और रिपोर्ट्स की जांच हुई तब एक नहीं दो नहीं बल्कि कई रिपोर्ट्स में फर्जीवाड़ा हुआ और कई फेक रिपोर्ट्स पकड़ में आईं। अब इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या दून मेडिकल कॉलेज के लैब का स्टाफ भरोसेमंद नहीं है? ऐसा इसलिए क्योंकि अस्पताल और लैब में बहुत ही कम लोगों के पास आईसीएमआर पोर्टल का एक्सेस है। आपको बता दें कि इसी आईसीएमआर पोर्टल के अंदर जांच की रिपोर्ट अपडेट की जाती है और रिपोर्ट के अंदर आईडी और रोगी की तमाम जानकारी और रोगी की आईडी दर्ज होती है ऐसे में इस को बदलना जरा भी संभव नहीं है। इसको केवल वही व्यक्ति बदल सकता है जिसके पास पोर्टल का एक्सेस है।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - देवभूमि के दो बेटियां इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल..बधाई दीजिए
दून मेडिकल कॉलेज में यह फर्जी रिपोर्ट्स मूल डाटा को बदल कर बनाई गई हैं। ऐसे में उन सभी चुनिंदा और भरोसेमंद स्टाफ पर शक गहरा होता दिखाई दे रहा है जिनके पास इस पोर्टल का एक्सेस है। आपको यह बता दें कि यह फर्जीवाड़ा क्यों किया जाता है। दरअसल दूसरे राज्य में जाने के लिए, परीक्षा में बैठने के लिए और नौकरी ज्वाइन करने के लिए कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट चाहिए होती है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति की पॉजिटिव रिपोर्ट आ जाए तो इस फर्जीवाड़े के जरिए उसको नेगेटिव रिपोर्ट में तब्दील कर दिया जाता है। तो वहीं जिस व्यक्ति की रिपोर्ट नेगेटिव है उसको पॉजिटिव केवल नौकरी से छुट्टी लेने के लिए भी किया जा सकता है। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ आशुतोष सयाना ने कहा है कि आईसीएमआर पोर्टल के साथ किसी भरोसेमंद व्यक्ति ने छेड़छाड़ की है और इस पूरे मामले की जांच पड़ताल चल रही है। उन्होंने कहा है कि पोर्टल से छेड़छाड़ हुई है लेकिन कहां और किस स्तर पर हुई है इसका पता लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि चीजें अभी स्पष्ट नहीं हैं मगर जल्द ही इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा होगा और इस फर्जीवाड़े में शामिल आरोपियों का जल्द ही पर्दाफाश होगा।