उत्तराखंड हल्द्वानीMany green trees were cut in Haldwani Sushila Tiwari Hospital

उत्तराखंड: यहां ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए कई हरे पेड़ काट दिए..पर्यावरण प्रेमी नाराज

अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के नाम पर आधा दर्जन से ज्यादा पेड़ काट दिए गए, जिनमें कई हरे पेड़ भी शामिल हैं। पर्यावरण प्रेमियों ने इस पर नाराजगी जताई है।

haldwani news: Many green trees were cut in Haldwani Sushila Tiwari Hospital
Image: Many green trees were cut in Haldwani Sushila Tiwari Hospital (Source: Social Media)

हल्द्वानी: कोरोना काल ने हमें ऑक्सीजन की अहमियत अच्छी तरह समझा दी। जब लोग एक-एक सांस के लिए तड़प रहे थे, तब पता चला कि जिस ऑक्सीजन को हम वातावरण से खींच रहे हैं, उसकी भरपाई करना कितना जरूरी है। अब लोग ट्री प्लांटेशन के लिए आगे आने लगे हैं, जगह-जगह से वृक्षारोपण की तस्वीरें आ रही हैं, लेकिन अपने हल्द्वानी में इसका उल्टा हुआ। एक खबर के मुताबिक यहां सुशीला तिवारी अस्पताल में आधा दर्जन से ज्यादा पेड़ काट दिए गए, जिनमें कई हरे पेड़ भी शामिल हैं, और ये सब ऑक्सीजन प्लांट लगाने के नाम पर हुआ। दरअसल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाना है, जिसमें हरे पेड़ बाधा बन रहे थे। ऐसे में वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और हरे पेड़ों पर आरी चलवा दी। बता दें कि एसटीएच में लंबे समय से ऑक्सीजन प्लांट लगाने की तैयारी चल रही थी, लेकिन सही जगह न मिलने की वजह से मामला लंबित था।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड के लिए ‘काला महीना’ बना मई..सबसे ज्यादा मृत्यु दर के मामले में टॉप थ्री में शामिल
लंबे समय तक चले प्रोसेस के बाद प्रबंधन ने एसटीएच के पीछे ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्णय लिया, लेकिन यहां कई हरे पेड़ थे। कोई उपाय न देख वन विभाग ने इन पेड़ों को काटने का फैसला लिया। बुधवार को करीब एक दर्जन से ज्यादा पेड़ों को काटा गया। जिसमें कुछ सूखे पेड़ भी थे। पेड़ काटने को लेकर अस्पताल प्रबंधन के अपने तर्क हैं। एमएस डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट काफी संवेदनशील होता है। प्लांट के लिए उपयुक्त जगह का चुनाव अनिवार्य है। इसके लिए वन विभाग को पत्र लिखा गया था। जिसके बाद टीम ने मौके पर पहुंचकर पेड़ों को काटा। अस्पताल प्रबंधन चाहे कुछ भी कहे, लेकिन हरे पेड़ काटे जाने को लेकर पर्यावरण प्रेमी नाराजगी जता रहे हैं। लोगों का कहना है कि प्लांट के नाम पर हरे पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई, इसके बजाय दूसरे विकल्पों पर ध्यान दिया जाना चाहिए था।