चम्पावत: स्वरोजगार इस समय की जरूरत है। बेरोजगारी के इस दौर में कई पढ़े-लिखे जवान नौकरी की तलाश में इधर उधर भटक रहे हैं। मगर कुछ लोग अपने गांव में बैठकर स्वरोजगार पैदा कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं और दूसरों को भी रोजगार प्रदान कर रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति से मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने मौन पालन के जरिए स्वरोजगार की एक जीती-जागती मिसाल पेश की है। हम बात कर रहे हैं चंपावत जिले के जौल गांव के निवासी हरीश जोशी की जो पिछले 10 वर्षों से जैविक खेती और मौन पालन से जुड़े हुए हैं। और उनके जैविक शहद की डिमांड देहरादून, दिल्ली और मुंबई तक है। आपको बता दें कि वे शहद के साथ-साथ मधुमक्खियां भी सप्लाई करते हैं। जौल गांव के हरीश पिछले 10 वर्षों से जैविक खेती और मधुमक्खी पालन से जुड़े हुए हैं। उनकी शहद की वैरायटी में वाइट हनी, मल्टी प्लोरा, कड़वा शहद, क्रीम हनी और छत्ता शहद शामिल है। वे अपने घर में ही मधुमक्खियों के छत्ते से यह शहद तैयार कर रहे हैं। इस नेचुरल शहद की डिमांड इसलिए ज्यादा है क्योंकि यह पहाड़ी इंडिका प्रजाति की मधुमक्खी से प्राप्त किया जाता है। आगे पढ़िए
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यह मधुमक्खी केवल फूलों के रस से इन 5 वायरेंट के शहद को तैयार करती है। यही कारण है कि दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों में भी इस जैविक शहद की भारी डिमांड है। शुद्ध और पूर्णतः जैविक होने के कारण लोग हरीश जोशी द्वारा उत्पादित शहद के दीवाने हैं। हरीश जोशी ने बताया कि उनके पास पांच किस्म के शहद पाए जाते हैं उन सभी शहद की कीमत 700 प्रति किलो है। वे ऑनलाइन या फिर ट्रांसपोर्ट द्वारा शहद की सप्लाई करते हैं। इसी के साथ में हरीश जोशी पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, नैनीताल बागेश्वर और गढ़वाल के विभिन्न जिलों में मधुमक्खियों के सप्लाई भी करते हैं। उनका मकसद अधिक से अधिक लोगों को मौन पालन से जोड़ना है ताकि लोग स्वरोजगार की राह पर आगे बढ़े और अपनी आर्थिकी मजबूत करें। वे वर्तमान में लोगों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देकर उनको तकनीकी सहयोग भी दे रहे हैं और उनके साथ जुड़कर कई लोगों को शहद उत्पादन में रोजगार भी मिला है।
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आपको बता दें कि मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन के अलावा ही हरीश जोशी जैविक खेती भी कर रहे हैं। वह अपने घर में ही सरसों, गेहूं मसूर, गहत के साथ शिमला मिर्च, टमाटर, बैंगन आदि सब्जियों की जैविक खेती भी कर रहे हैं अपने घर में ही सरसों का तेल निकाल कर उसकी सप्लाई कर रहे हैं। वहीं टनकपुर के एसडीएम हिमांशु कफलटिया ने बताया के हरीश जोशी मौन पालन और शहद उत्पादन के साथ ही ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं और ऐसे में उनको हर स्तर पर प्रोत्साहित किया जाएगा। हरीश जोशी ने कई लोगों को शहद उत्पादन और मौन पालन का प्रशिक्षण देकर इस रोजगार से जोड़ा है मगर इसके बावजूद भी उनको प्रशासनिक स्तर पर सहयोग नहीं मिल पा रहा है। एक ओर जहां पर स्वरोजगार इस समय उम्मीद बनकर सामने आ रहा है, ऐसे में प्रशासनिक स्तर पर ऐसे मेहनती लोगों को सहयोग ना मिलना बेहद निराशाजनक है। हरीश जोशी का कहना है कि वे चाहते हैं कि अधिक से अधिक युवा स्वरोजगार की मुहिम से जुडें ताकि प्रदेश में रोजगार उत्पन्न हो और लोगों की आर्थिकी मजबूत हो। वे 4 साल से बी ग्रेडिंग सेंटर स्थापित करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस सेंटर को बनाने से चंपावत जिले में हजारों लोगों को मौन पालन के क्षेत्र में रोजगार से जोड़ा जा सकता है।