उत्तराखंड रुद्रप्रयागPurple Buransh and Blue Poppy Flowers in Uttarakhand

गढ़वाल में खिलने लगे दुर्लभ पर्पल बुरांश और ब्लू पॉपी के फूल, केदारनाथ में दिखा मोनाल

मद्महेश्वर क्षेत्र में जून-जुलाई में खिले सफेद और नीले-पर्पल बुरांश हर किसी को हैरान किए हुए हैं। यहां ब्लू पॉपी के फूल भी नजर आ रहे हैं। प्रकृति संरक्षण के लिहाज से ये शुभ संकेत है।

Uttarkand Monal: Purple Buransh and Blue Poppy Flowers in Uttarakhand
Image: Purple Buransh and Blue Poppy Flowers in Uttarakhand (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: लाल बुरांश को पहाड़ों में बसंत का संदेशवाहक मना जाता है। खूबसूरत पहाड़ी वादियों में बुरांश खिलता है और इसी के साथ बसंत का आगाज हो जाता है। इसका सुर्ख लाल रंग हर किसी को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, लेकिन हाल में उच्च हिमालयी क्षेत्र में कुछ ऐसे बुरांश मिले हैं, जिन्होंने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है। रुद्रप्रयाग के मद्महेश्वर क्षेत्र में जून-जुलाई में खिले सफेद और नीले-पर्पल बुरांश हर किसी को हैरान किए हुए हैं। यहां ब्लू पॉपी के फूल भी नजर आ रहे हैं। केदारनाथ वन प्रभाग की टीम मद्महेश्वर में प्रकृति की बदली तस्वीर देख हैरान है। विभाग का कहना है कि आमतौर पर इस सीजन में यहां चारधाम यात्रियों की भीड़ लगी रहती थी, लेकिन यात्रा बंद होने से मानवीय गतिविधियां थम गई हैं। यही वजह है कि क्षेत्र में जून और जुलाई में बुरांश और ब्लू पॉपी के फूल खिले नजर आ रहे हैं।आगे पढ़िए

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सामान्य तौर पर मई और जून महीने में केदारनाथ, मद्महेश्वर और तुंगनाथ घाटी में बड़ी संख्या में यात्रियों की आवाजाही बनी रहती है, लेकिन साल 2020 से लेकर वर्तमान तक इन मार्गों पर आवाजाही लगभग थमी हुई है। मानवीय दखल कम होने से प्रकृति के अलग-अलग रंग दिख रहे हैं। हर महीने और सीजन में नए बदलाव दिख रहे हैं। समुद्रतल से करीब 3500 मीटर की ऊंचाई पर सफेद और नीले बुरांश खिले हुए हैं। दुर्लभ प्रजाति का ब्लू पॉपी फूल भी लोगों को खूब आकर्षित कर रहा है। ब्लू पॉपी संरक्षित प्रजाति का पौधा है। जिसकी अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बड़ी मांग है। यही नहीं शनिवार को केदारनाथ में दुर्लभ मोनाल पक्षी भी विचरण करता दिखाई दिया। आमतौर पर जून और जुलाई में मानवीय गतिविधियों और हेलीकॉप्टर की आवाज के चलते मोनाल यहां नजर नहीं आते, लेकिन इन दिनों सब बदला-बदला नजर आ रहा है। वन विभाग का मानना है कि प्रकृति संरक्षण के लिहाज से ये एक शुभ संकेत है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए यहां खिले बुरांश के फूल और ब्लू पॉपी पर वैज्ञानिक शोध की जरूरत है।