उत्तराखंड उत्तरकाशीHistory of Uttarkashi Garrangali

उत्तराखंड में मौजूद है दुनिया का सबसे खतरनाक रास्ता, रोमांच के इस सफर के लिए तैयार हो जाइए

रोमांच का खजाना है उत्तरकाशी जिले की जाड़ गंगा घाटी में स्थित गर्तांगली।दुनिया के सबसे खतरनाक और रोमांच से भरे रास्तों में होती है इसकी गिनती।

Gartangali Uttarkashi: History of Uttarkashi Garrangali
Image: History of Uttarkashi Garrangali (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: अगर आप भी साहसिक पर्यटन के शौकीन हैं तो यह खबर आपको रोमांच से भर देगी। उत्तराखंड साहसिक पर्यटकों का मनपसंद स्थान है। तरह-तरह के साहसिक पर्यटनों के बीच आज हम आपका परिचय एक ऐसे रास्ते से करवाने जा रहे हैं जिसकी गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक रास्ते में होती है। समुद्र तल से 10,500 फीट की ऊंचाई पर खड़ी एक चट्टान को काटकर बनाए गए इस सीढ़ीनुमा मार्ग से गुजरते हुए आपका दिल भी रोमांच से भर उठेगा। इस मार्ग से गुजरते हुए नीचे अनंत खाई की ओर देखने से दिल में सिहरन दौड़ उठेगी। हम बात कर रहे हैं भारत-चीन सीमा पर स्थित उत्तरकाशी जिले की जाड़ गंगा घाटी में स्थित गर्तांगली की। इसकी गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक और रोमांच से भरे रास्ते में होती है। दिखने में तो यह रास्ता महज सीढ़ीनुमा मार्ग लगता है मगर असलियत में जो यहां से गुजरता है केवल उसी को पता होता है कि आखिर इस मार्ग से गुजरना कितना कठिन और रोमांचकारी अनुभव है। साहसिक पर्यटन के शौकीन और रोमांच से भरे लोग जल्द ही इस मार्ग पर चहल कदमी कर सकेंगे। जी हां उम्मीद जताई जा रही है कि इस वर्ष 27 सितंबर से पहले पर्यटन दिवस के मौके पर रोमांच के शौकीन इस रास्ते पर चहलकदमी कर सकेंगे। दरअसल इसका कार्य 50 फीसद पूरा हो चुका है और अगस्त माह के अंत तक इस कार्य को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

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2017 में विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर उत्तराखंड में पर्यटकों को जाड़ गंगा घाटी में स्थित गर्तांगली में जाने की अनुमति तो दी थी मगर उस समय गर्तांगली में जर्जर सीढ़ियों की वजह से कोई भी खतरा उठाने को तैयार नहीं था जिसके बाद सरकार ने गर्तांगली की मरम्मत का फैसला लिया ताकि भविष्य में यहां पर पर्यटन बढ़े और बड़ी संख्या में लोग रोमांच का अनुभव करने के लिए यहां पर आएं। सरकार ने इसके र्निर्माण का जिम्मा लोक निर्माण विभाग को सौंपा है। लोनिवि के अधिशासी अभियंता आरएस खत्री की निगरानी में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ मगर मार्च-अप्रैल में अत्यधिक बर्फबारी होने के कारण कार्य प्रभावित रहा इसके बाद अब कार्य ने दोबारा गति पकड़ी है और श्रमिक तमाम मुश्किलों के बावजूद भी काम कर रहे हैं। 140 मीटर लंबे इस मार्ग के निर्माण कार्य में कुल 64 लाख की लागत लग रही है।

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गर्तांगली जाने के लिए गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगोत्री धाम से 12 किलोमीटर पहले लंका तक पहुंचना पड़ता है और लंका से आधा किलोमीटर दूर भैरव घाटी का प्रसिद्ध मोटर पुल है। भैरव घाटी पुल से 2 किलोमीटर दूर जाड़गंगा घाटी में अंदर गर्तांगली मौजूद है। गंगोत्री नेशनल पार्क उत्तरकाशी के रेंज अधिकारी प्रताप सिंह पंवार का कहना है कि गर्तांगली के पुनरुद्धार का काम पूरा होने के बाद पर्यटक गंगोत्री नेशनल पार्क से इसके गलियारे की सैर कर सकेंगे। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित का कहना है कि साहसिक पर्यटन के लिहाज से गर्तांगली बेहद जरूरी है और इससे स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा है कि इसका काम पूरा हो जाने के बाद पर्यटकों के लिए इसको खोला जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि 27 सितंबर यानी कि विश्व पर्यटन दिवस के दिन यहां एडवेंचर के शौकीन इस खतरनाक रास्ते पर सैर कर सकेंगे।