उत्तराखंड उत्तरकाशीMastadi village of Uttarkashi is slowly sinking

गढ़वाल: धीरे-धीरे धंस रहा है मस्ताड़ी गांव, 24 साल से खौफ में जी रहे लोग..टैंट में रहने की मजबूरी

24 साल से गांव वाले डर के साये में जीने को मजबूर हैं, लेकिन इनकी परेशानी पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।

Mastadi Village Uttarkashi: Mastadi village of Uttarkashi is slowly sinking
Image: Mastadi village of Uttarkashi is slowly sinking (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: खौफ के साये में जीना किसे कहते हैं, ये जानना हो तो उत्तरकाशी के मस्ताड़ी गांव चले आईए। ये गांव धीरे-धीरे धंस रहा है। 24 साल से गांव वाले डर के साये में जीने को मजबूर हैं, लेकिन इनकी परेशानी पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। गांव के धंसने की शुरुआत साल 1991 में हुई थी। उस वक्त उत्तरकाशी में भयानक भूकंप आया था। गांव के लगभग सभी मकान ध्वस्त हो गए थे। भूकंप का दौर तो गुजर गया, लेकिन गांव वालों की मुसीबतों का दौर शुरू हो गया। ये गांव धीरे-धीरे धंसने लगा। घरों में नीचे से पानी निकलने लगा, दीवारों पर दरारें पड़ने लगीं। ये सिलसिला पिछले 24 साल से थमा नहीं है। प्रशासन शायद किसी अनहोनी का इंतजार कर रहा है। तभी तो गांव वालों की दिक्कतों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। वर्ष 1997 में प्रशासन ने गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण भी कराया था। भूवैज्ञानिक ने गांव में तत्काल सुरक्षात्मक कार्य का सुझाव दिया था। लेकिन 24 साल बाद भी प्रशासन की नींद नहीं टूटी। यहां भू-धंसाव से 50 परिवार प्रभावित हुए हैं, लेकिन प्रशासन ने गांव नें सिर्फ 3 टैंट लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।

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साल 1991 में भूकंप के दौरान गांव के सभी मकान ध्वस्त हो गए थे। बाद में लोगों ने जैसे-तैसे जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश की, लेकिन हालात अब भी नाजुक बने हुए हैं। गांव में बिजली के पोल तिरछे हो चुके हैं और पेड़ भी धंस रहे हैं। सड़कें भी धंस रही हैं। घरों में कभी भी जमीन से पानी निकल आता है, पानी के बहने की आवाज आती है। ग्राम प्रधान सत्य नारायण सेमवाल ने बताया कि साल 1997 में प्रशासन ने गांव का भूसर्वेक्षण कराया था। तब भू-वैज्ञानिकों ने गांव में सुरक्षात्मक कार्यों की सलाह दी थी, लेकिन इस सलाह पर अमल नहीं किया गया। यहां चैकडेम, सुरक्षा दीवार बनाने के साथ पौधारोपण किया जाना चाहिए। मकानों के चारों तरफ पक्की नालियां बनाकर पानी की निकासी का इंतजाम होना चाहिए, लेकिन प्रशासन उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा है। प्रशासन की लापरवाही गांव में किसी भी समय बड़ी दुर्घटना का सबब बन सकती है।