उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालAnkita Dhyani won gold medal in National Athletics

गढ़वाल की उड़नपरी को बधाई दीजिए, नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीता गोल्ड मेडल

19वीं नेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अंकिता ने शानदार प्रदर्शन किया। शनिवार सुबह दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली अंकिता ने शाम को मैदान पर दौड़कर एक रजत पदक भी अपने नाम किया।

Ankita Dhyani: Ankita Dhyani won gold medal in National Athletics
Image: Ankita Dhyani won gold medal in National Athletics (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: 19वीं राष्ट्रीय फेडरेशन कप जूनियर (अंडर-23) एथलेटिक्स प्रतियोगिता में उत्तराखंड के होनहार खिलाड़ी छाए रहे। प्रदेश की उड़नपरी और गोल्डन गर्ल के नाम से मशहूर अंकिता ध्यानी ने एथलेटिक्स प्रतियोगिता में एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल हासिल कर उत्तराखंड को गौरवान्वित किया। संगरूर, पंजाब के वार हीरोज स्टेडियम में पांच हजार मीटर की नेशनल रिकॉर्डधारी अंकिता ने शनिवार को जबरदस्त प्रदर्शन किया और पहला स्थान कब्जाया। अंकिता ने 17.02.22 मिनट का समय लिया। यही नहीं 5 हजार मीटर की दौड़ में सुबह स्वर्ण पदक हासिल करने वाली अंकिता ने शाम को मैदान पर दौड़कर एक रजत पदक भी अपने नाम किया। प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर रही गुजरात की दृष्टिबेन प्रव चौधरी ने अंकिता को जबरदस्त चुनौती दी, लेकिन अंकिता करीब 4 सेकेंड के अंतर से स्वर्ण जीतने में कामयाब रहीं। दृष्टिबेन दूसरे और अंतिमा पाल तीसरे स्थान पर रहीं। वहीं शाम को हुई 1500 मीटर दौड़ में अंकिता ने 4.36.63 मिनट का समय निकालकर रजत पदक जीता। चलिए आपको होनहार अंकिता के बारे में कुछ और बातें बताते हैं.

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अंकिता मूलरूप से पौड़ी के मेरूड़ा गांव की रहने वाली हैं। इसी वर्ष जनवरी-फरवरी में अंकिता ने दो नेशनल रिकॉर्ड के साथ तीन स्वर्ण पदक जीतकर सनसनी मचा दी थी। पहले भोपाल और उसके बाद गुवाहाटी में उन्होंने नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया। तब अंकिता ने 16.21.19 मिनट का रिकॉर्ड समय लिया था। अंकिता ने खेतों और सड़क पर प्रैक्टिस कर खुद को काबिल बनाया है। 19वीं नेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भी अंकिता ने शानदार प्रदर्शन किया और स्वर्ण समेत दो पदक जीते। एथलेटिक्स एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के सचिव केजेएस कलसी ने कहा कि एक ही दिन में दो इवेंट होने से अंकिता काफी अधिक थक गईं। पांच हजार मीटर के बाद कुछ ही घंटों में उन्हें 1500 मीटर दौड़ना पड़ा। अगर एक ही दिन में दोनों स्पर्द्धा नहीं होती तो निश्चित तौर पर अंकिता के नाम दो स्वर्ण पदक होते।