उत्तराखंड चमोलीDarshan Lal and Uma Devi are raising deer like a child in Chamoli

गढ़वाल: डेढ़ साल तक हिरण को बच्चे को औलाद की तरह पाला, अब विदाई का वक्त..भर आई आंखें

18 महीने तक चमोली के दंपति ने खुद के बच्चे की तरह पाला जूली को, अब करना पड़ रहा है खुद से अलग।

Chamoli Darshan Red Deer: Darshan Lal and Uma Devi are raising deer like a child in Chamoli
Image: Darshan Lal and Uma Devi are raising deer like a child in Chamoli (Source: Social Media)

चमोली: मनुष्यों का जानवरों के प्रति भी उतना ही लगाव होता है जितना कि अन्य इंसानों के प्रति। जीव मूक होते हैं मगर भाव तो उनके अंदर भी होते हैं, प्रेम की भाषा तो वे भी समझते हैं, और इसी प्रेम की भाषा ने मनुष्यों और जानवरों को एक साथ जोड़कर रखा हुआ है। जिस तरह इंसानों से लगाव होता है उसी प्रकार जीवों से भी लगाव होता है। मगर कहते हैं न जहां प्रेम होता है वहां अलगाव भी तय होता है। चमोली के इस दंपति को भी यह पता नहीं था कि जिस हिरण के बच्चे को वे 18 महीने से अपने शिशु की तरह पाल रहे हैं उसको आखिरकार खुद से अलग करना पड़ेगा। जी हां, यह भावुक कर देने वाली खबर चमोली से सामने आई है। चमोली में एक दंपति हिरण के बच्चे को पिछले 18 माह से अपने ही बच्चे की तरह पाल रहे हैं और उसकी देखभाल कर रहे हैं। मगर अब हिरण बड़ी हो चुकी है और अब दंपति ने इसको वन विभाग को सौंपने का फैसला लिया है। दंपति का कहना है कि हिरण अब बड़ी हो चुकी है और अब उसको अपने परिवेश में वापस जाने की जरूरत है। यही वजह है कि अब हम उसको वन विभाग को सौंप रहे हैं।

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इस क्रूर समय में जहां एक ओर वन्य जीवों की तस्करी और उनका शिकार होना बेहद आम बात है वहां चमोली के दर्शन लाल और उनकी पत्नी उमादेवी उदाहरण बनकर समाज के सामने आते हैं और यह साबित करते हैं कि मनुष्यों का वन्यजीवों के प्रति व्यवहार सदैव से ममता और प्यार का रहा है। उमादेवी एवं उनके पति का कहना है कि जूली उनको 4 मार्च 2020 को जंगल में लावारिस पड़ी मिली थी। उस समय वह नवजात थी। उमादेवी ने यह सोचकर उसको नहीं उठाया कि वह भी पैदा हुई है और उसकी मां यहीं कहीं होगी। मगर अगले दिन उमा देवी को उसी स्थान पर ही जूली बेसुध पड़ी हुई मिली तो वह उसी समय उसको घर ले आईं और अपने बच्चे की तरह पालने लगीं। दोनों दंपति ने अपने ही बच्चे कि तरह ही उसका नामकरण किया और उसको नाम मिला जूली।देखते ही देखते 18 महीने हो गए हैं और जूली अब एक परिपक्व हिरण में तब्दील हो चुकी है।

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उमा देवी के पति दर्शन लाल भावुक होते हुए कहते हैं कि वह बचपन से ही उनके साथ में सोती है, खाती है, रहती है और गांव के बच्चों के साथ खूब खेलती कूदती रहती है। उन्होंने हमेशा से ही जूली को अपने बच्चे की तरह पाला है और सारी सुख सुविधाएं दी हैं। भावुक होते हुए दर्शन लाल ने कहा कि अब जूली बड़ी हो चुकी है और अब उसको जंगल के परिवेश में वापस लौटना होगा। आदमियों के साथ अब जूली नहीं रह सकती। यह प्रकृति के नियमों के खिलाफ है। जंगल में उसको छोड़ा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर जूली को सीधे जंगल में छोड़ दिया जाएगा तो वह बहुत आसानी से किसी का भी शिकार बन जाएगी। इसलिए उन्होंने वन विभाग से प्रार्थना की है कि जूली को अच्छे अभ्यारण्य में रखा जाए ताकि वह अपने लोगों के साथ में अपने परिवेश में रह सके और सुरक्षित रहे। उमा देवी और उनके पति दर्शन लाल की तारीफ हर कोई कर रहा है। बद्रीनाथ वन प्रभाग के वन दारोगा मोहन प्रसाद सती ने बताया है कि वन विभाग जल्द ही जूली को किसी सुरक्षित स्थान पर ले कर जाएगा। वही लोगों ने मांग की है कि दर्शन लाल और उमा देवी को सरकार की ओर से सम्मानित किया जाना चाहिए।