उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालFlying squirrel seen in Lansdowne

गढ़वाल: लैंसडौन में पहली बार दिखी उड़ने वाली गिलहरी, वन विभाग में खुशी की लहर

विनीत बाजपाई के वन्यजीवों को कैमरे में कैद करने की शौक ने लैंसडौन में उड़न गिलहरी के दर्शन करा दिए। पढ़िए पूरी खबर

Lansdowne News: Flying squirrel seen in Lansdowne
Image: Flying squirrel seen in Lansdowne (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से सुखद खबर सामने आ रही है। पौड़ी गढ़वाल के लैंसडौन इलाके में पहली बार उड़न गिलहरी की उपस्थिति दर्ज की गई है। जी हां, इंडियन जायंट फ्लाइंग स्क्वैरल के नाम से मशहूर उड़न गिलहरी पहली बार लैंसडौन में नजर आई है और यह पहला मौका है जब लैंसडौन के आसपास प्रकृति प्रेमियों ने उड़न गिलहरी का दीदार किया है। सिर्फ रात के समय में नजर आने वाला यह नन्हा जीव विलुप्ति की कगार पर खड़ा है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम ने इस जीव को विलुप्त जीवों की सूची में शामिल किया है। ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस जीव के अस्तित्व के ऊपर कितना बड़ा खतरा मंडरा रहा है। बता दें कि उड़न गिलहरी को अपने कैमरे में कैद करने का श्रेय जीव प्रेमी विनीत बाजपाई को जाता है। विनीत बाजपाई के वन्यजीवों को कैमरे में कैद करने की शौक ने लैंसडौन में उड़न गिलहरी के दर्शन करा दिए। लैंसडौन में पहली बार उड़न गिलहरी की मौजूदगी दर्ज हुई है। लैंसडाउन में उड़न गिलहरी के मिलने की उम्मीद शायद ही थी। आगे पढ़िए

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वन महकमे ने इस जीव को दुर्लभ जीवों की सूची में रखा हुआ है जो कि कोटद्वार, लैंसडाउन सहित आसपास के क्षेत्रों से तकरीबन गायब ही हो गया था। उड़न गिलहरी की मौजूदगी से वन विभाग के बीच में भी उम्मीद की एक किरण जग चुकी है। लैंसडौन वन प्रभाग के दुगड्डा रेंज में 7 वर्ष पहले एक पक्षी जानकार राजीव बिष्ट ने उड़न गिलहरी को देखा था मगर लैंसडौन में यह पहला मौका है जब उड़न गिलहरी दिखाई दी है। बता दें कि इंडियन जाइंट फ्लाइंग स्क्विरल चाइना, इंडोनेशिया, म्यांमार श्रीलंका और थाईलैंड में पाई जाती है। बीते 3 वर्ष पहले उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र ने पूरे प्रदेश में उड़न गिलहरी की मौजूदगी को लेकर एक सर्वे किया था और सर्वे से प्राप्त परिणाम के अनुसार लैंसडौन वन प्रभाग के जंगल में 30 से 45 सेंटीमीटर लंबी उड़न गिलहरी देखी गई। बता दें कि वन विभाग ने सर्वे के लिए अलग-अलग स्थानों पर कैमरे ट्रैप लगाकर उड़न गिलहरी की तलाश की थी। लैंसडौन के अंदर उड़न गिलहरी देखने के बाद वन विभाग के बीच भी खुशी की लहर छा गई है।