उत्तराखंड चमोलीPeople says goodbye to jooli deer in chamoli

गढ़वाल: जिस ‘जूली’ को डेढ़ साल तक बच्चे की तरह पाला, उसकी विदाई के वक्त रो पड़ा गांव

जूली जब अठखेलियां करती तो दर्शन लाल और उमा की आंखों में अलग सी चमक दिखाई देने लगती, लेकिन जूली के आने के साथ ही ये भी तय हो गया था कि एक न एक दिन उसे जाना होगा। आगे पढ़िए पूरी खबर

Jooli der chamoli: People says goodbye to jooli deer in chamoli
Image: People says goodbye to jooli deer in chamoli (Source: Social Media)

चमोली: घर में जानवरों और पक्षियों को पालने वाले लोग उन्हें अपने परिवार और जिंदगी का हिस्सा समझने लगते हैं, उनके लिए पैट एक पशु से ज्यादा उनका साथी बन जाता है। और जब ये साथी अचानक बिछड़ता है, या दूर जाता है तो परिवार की जिंदगी मानों थम सी जाती है। चमोली के गोपेश्वर में रहने वाले दर्शन लाल और उनकी पत्नी उमा देवी भी इस वक्त ऐसे ही दुख का सामना कर रहे हैं। ये दंपति पिछले 18 महीने से एक हिरण की परवरिश कर रहा था। दोनों ने उसे जूली नाम दिया और औलाद की तरह लाड़ लुटाने लगे। जूली जब अठखेलियां करती तो दर्शन लाल और उमा की आंखों में अलग सी चमक दिखाई देने लगती, लेकिन जूली के आने के साथ ही ये भी तय हो गया था कि एक न एक दिन उसे जाना होगा। शनिवार को जब जूली की विदाई का दिन आया तो दंपति ही नहीं, ग्रामीणों की आंखें भी नम हो गईं।

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जूली को देहरादून जू में शिफ्ट किया जा रहा है। उमा देवी बताती हैं कि पिछले साल 4 मार्च 2020 को जूली उन्हें जंगल में बेसुध मिली थी। कोई जानवर उसे नुकसान न पहुंचा दे, ये सोचकर उमा जूली को घर ले आई। पति दर्शन लाल और उमा मिलकर जूली को पालने लगे। जूली भी दर्शन और उमा के बच्चों संग घुल-मिल गई। जब जूली बड़ी हुई तो दर्शन और उमा ने उसके सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखते हुए उसे वन विभाग को सौंपने का फैसला लिया। ये करना आसान नहीं था, लेकिन दर्शन और उमा ने दिल पर पत्थर रखकर शनिवार को जूली को विदा कर दिया। वन विभाग को सौंपने से पहले जूली को दूध पिलाया गया। परिवार के हर सदस्य ने जूली को सीने से लगाया। जूली के लिए परिवार वालों को रोता-बिलखता देख वहां मौजूद हर शख्स भावुक हो गया। जूली को देहरादून के लिए रवाना कर दिया गया है। अब उसे देहरादून के जू में रखा जाएगा।