उत्तराखंड उधमसिंह नगरManoj Sarkar wins Bronze at Tokyo Paralympics

उत्तराखंड के मनोज को मिली शानदार जीत, टोक्यो पैरालंपिक में देश को दिलाया कांस्य

मनोज सरकार को आर्थिक तंगी के चलते बचपन में पंचर जोड़ने और खेतों में दिहाड़ी मजदूरी जैसे काम करने पड़े थे। साथी उन्हें लंगड़ा कहकर चिढ़ाते थे, पर मनोज ने खुद को टूटने नहीं दिया।

Manoj Sarkar: Manoj Sarkar wins Bronze at Tokyo Paralympics
Image: Manoj Sarkar wins Bronze at Tokyo Paralympics (Source: Social Media)

उधमसिंह नगर: टोक्यो पैरालंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे बैडमिंटन खिलाड़ी मनोज सरकार देश के लिए कांस्य पदक जीतने में कामयाब रहे। उत्तराखंड के लिए ये डबल सेलिब्रेशन का मौका है, क्योंकि मनोज अपने प्रदेश के रहने वाले हैं। उनका परिवार ऊधमसिंहनगर के रुद्रपुर में रहता है। अर्जुन अवार्ड विजेता मनोज सरकार ने पैरालंपिक के लिए रवाना होते वक्त देशवासियों से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का वादा किया था, उन्होंने कहा था कि देश के लिए मेडल जरूर जीतकर लाएंगे। मनोज ने जो वादा किया, उसे निभाया भी। टोक्यो पैरालंपिक्स में शानदार खेल की बदौलत वो कांस्य पदक जीतने में कामयाब रहे। मनोज सरकार उत्तराखंड के पहले ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें टोक्यो पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। आज हम मनोज की सफलता देख रहे हैं, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए मनोज ने कितना संघर्ष किया, इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। रुद्रपुर के गरीब परिवार में जन्मे मनोज सरकार को आर्थिक तंगी के चलते बचपन में पंचर जोड़ने, खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करने और घरों में पीओपी के काम करने पड़े थे.

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड की बेटियों को हॉकी प्लेयर बनाएंगी वंदना, ओलंपिक में हैट्रिक जमाकर रचा था इतिहास
उन्होंने बैलगाड़ी से मिट्टी की ढुलान भी की है। मनोज को बचपन से बैडमिंटन खेलने का शौक था, लेकिन पांव की कमजोरी के चलते तमाम दिक्कतें थीं। साथी बच्चे उन्हें लंगड़ा कहकर चिढ़ाया करते थे। अगर उनकी शटल टूट जाती तो बच्चे उन्हें अपने साथ खेलने भी नहीं देते थे। अपाहिज होने के तानों से तंग आकर मनोज ने बैडमिंटन खेलने का विचार छोड़ दिया था। फिर टीवी में बैडमिंटन की वॉल प्रैक्टिस (दीवार में शटल को मारकर प्रैक्टिस) देखने के बाद उन्होंने घर पर ही अभ्यास शुरू किया। बचपन के संघर्ष की बदौलत वो आज शानदार मुकाम हासिल कर पाए हैं। मनोज अभी तक 33 देशों में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं खेल चुके हैं। जबकि 47 मेडल अर्जित किए हैं। राज्य समीक्षा टीम मनोज सरकार को सैल्यूट करती है। उनकी सफलता पहाड़ के दूसरे प्रतिभावान खिलाड़ियों को कभी हार न मानने का जज्बा देगी।