उत्तराखंड देहरादूनuttarakhand vidhansabha will become paper less

हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में होगा ये शानदार काम, तैयारी शुरू

उत्तराखंड विधानसभा पूरी तरह कागज रहित (पेपरलेस) होने के लिये तैयार है। विधानसभा में सारा कामकाज डिजिटल तरीके से करने की कवायद शुरू हो गई है।

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Image: uttarakhand vidhansabha will become paper less (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में जल्द ही सारा कामकाज कागज रहित होगा। यहां ई-विधानसभा प्रणाली लागू की जाएगी। हमारे पड़ोसी राज्य हिमाचल में ये व्यवस्था पहले से लागू है। अब उत्तराखंड विधानसभा को ई-सिस्टम से जोड़ने की कवायद चल रही है। शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने ई-प्रणाली लागू करने की दिशा में अभी तक की गई कार्यवाही को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की। विधानसभा अधिकारियों ने ई-विधानसभा मॉडल का प्रस्तुतीकरण दिया। बता दें कि कागज रहित विधानसभा के लिए ‘ई-विधान’ को एनआईसी और केन्द्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मदद से सबसे पहले हिमाचल प्रदेश में लागू किया गया है। दूसरे राज्य भी इस व्यवस्था को अपना रहे हैं। इस प्रणाली के तहत विधानसभा के सभी रिकॉर्ड्स डिजिटल होंगे। कोई भी पेपर वर्क नहीं होगा। शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने अधिकारियों की बैठक में कार्य की प्रगति को लेकर जानकारी मांगी।

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बैठक में विधानसभा प्रभारी सचिव मुकेश सिंघल ने बताया कि उत्तराखंड विधानसभा को ई-विधानसभा बनाने के लिए आवश्यक प्रक्रिया और कार्यवाही की जा रही है। चार चरणों में विधानसभा के कर्मचारियों को ई-विधानसभा प्रणाली से संबंधित कार्यशाला आयोजित कर प्रशिक्षण भी दिया गया है। लोकसभा सचिवालय से भी इस संबंध में वार्ता की गई है। विधानसभा से संबंधित डाटा को अपलोड करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। ई-विधानसभा मॉडल पर प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार की गई है, जिसे जल्द ही केंद्र और राज्य सरकार के सामने पेश किया जाएगा। ई-विधानसभा मॉडल से क्या फायदे होंगे, ये भी बताते हैं। सबसे बड़ा फायदा तो ये होगा कि कामकाज ऑनलाइन होने से पेड़ों को बचाने में मदद मिलेगी। विकास कार्यों को रफ्तार मिलेगी। इससे सरकार के लाखों रुपये और कागज भी बचेंगे। ‘ई-विधान’ का उद्देश्य विधानसभा के सत्रों को कागज रहित बनाना है, यह कानून बनाने की प्रक्रिया के स्वचालन को भी सक्षम बनाता है।