देहरादून: उत्तराखंड की जमीन पर भू-माफिया की नजर लगी हुई है। यही वजह है कि यहां सख्त भू-कानून की जरूरत है। प्रदेश का हर नागरिक भू-कानून का समर्थन कर रहा है। सोशल मीडिया पर चल रही मुहिम के चलते भू-कानून का मुद्दा अब सियासी विमर्श में शामिल हो गया है। राज्य सरकार भी मामले को लेकर गंभीर है। प्रदेश सरकार हिमाचल पैटर्न को ध्यान में रख भू-कानून में जल्द संशोधन करने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में गठित समिति हिमाचल पैटर्न पर भू-कानून में बदलाव करने पर विचार करेगी। समिति ने हिमाचल के भू-कानून का अध्ययन शुरू कर दिया है। प्रदेश में भू-कानून को लेकर सियासत गर्माई हुई है। प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा है कि सरकार बनने पर तुरंत मौजूदा भू-कानून को रद्द किया जाएगा। भू-कानून की मुखालफत करने वालों का कहना है कि सरकार ने पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में कृषि भूमि की खरीद की सीमा खत्म कर दी है।
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लीज और पट्टे पर 30 साल तक भूमि लेने का रास्ता खोला गया है। इससे राज्य को भविष्य में कई मुश्किलें झेलनी पड़ेंगी। वहीं दूसरी ओर भू-कानून में संशोधन पर विचार के लिए गठित सुभाष कुमार समिति ने जन भावनाओं को ध्यान में रख हिमाचल के भू-कानून का अध्ययन शुरू कर दिया है। समिति के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने कहा कि हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भू-कानून का स्वरूप तय किया जा सकता है। समिति इस मामले में सभी पक्षों की राय लेगी। समिति की पहली बैठक हो चुकी है। बैठक में इस पर सहमति बनी कि इस संवेदनशील मुद्दे पर व्यापक मंथन किया जाएगा। इसके लिए जनसुनवाई आयोजित होगी। आमजन के साथ बुद्धिजीवियों से भी सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। बता दें कि इन दिनों प्रदेश में सख्त भू-कानून का मुद्दा गर्माया हुआ है। विभिन्न सामाजिक व राजनैतिक संगठन भू-कानून की मांग को लेकर एकजुट हो गए हैं।