उत्तराखंड टिहरी गढ़वालTehri lake water level reached 830 meters

उत्तराखंड: टिहरी बांध के नाम जुड़ी बड़ी उपलब्धि, पहली बार 830 मीटर पहुंचा जलस्तर

टीएचडीसी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर पहुंच जाने को बड़ा अचीवमेंट बता रहा है, लेकिन झील के किनारे बसे गांवों में रहने वाले ग्रामीण डरे हुए हैं। यहां सड़कों और घरों में दरारें पड़ने लगी हैं।

Tehri lake water level: Tehri lake water level reached 830 meters
Image: Tehri lake water level reached 830 meters (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध की झील के खाते में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है। 42 वर्ग किलोमीटर में फैली झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर पहुंच गया है। झील का जलस्तर बढ़ने से टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड) के अधिकारी खुश हैं। टीएचडीसी के अधिकारियों ने कहा कि ये हमारे लिए बड़ा अचीवमेंट है। टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक यूके सक्सेना ने बताया कि टिहरी झील के बनने के बाद इसे पहली बार 830 आएल मीटर भरा गया है। इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति ली गई है। अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले साल 2010 में भारी बारिश के चलते झील का जलस्तर बढ़कर 830 मीटर हुआ था, लेकिन इस बार विधिवत रूप से झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर किया गया है। इससे टिहरी बांध से बिजली उत्पादन बढ़ेगा और राजस्व भी ज्यादा आएगा.

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टिहरी झील में 830 आरएल मीटर पानी भरने से अब सालभर में 16 से 15 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन अतिरिक्त किया जा सकेगा। जिससे लगभग 30 से 40 लाख प्रतिदिन एडिशनल रेवन्यू मिलेगा। बता दें कि साल 2010 व 2013 की आपदा के समय भागीरथी व भिलंगना नदी में भारी पानी आया था। इस पानी को टिहरी बांध के चलते रोका गया। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो देवप्रयाग, ऋषिकेश, हरिद्वार आदि मैदानी इलाकों में भयंकर तबाही होती। उस समय टिहरी डैम के कारण सब सुरक्षित हुए। टिहरी डैम में पानी बढ़ने से टीएचडीसी अधिकारियों के चेहरे खिले हैं, लेकिन झील के किनारे बसे गांवों के लोगों की नींद उड़ी हुई है। जलस्तर बढ़ने का असर करीब 35 से 40 किलोमीटर दूर स्थित चिन्यालीसौड़ तक देखा जा रहा है। यहां रौलाकोट, उप्पू और तिवाड़ी, गड़ोली और कंगसाली समेत अन्य गांवों में सड़कों-मकानों में दरारें पड़ने लगी हैं। भिलंगना घाटी के पिलखी, ननगांव और उत्थड़ गांवों में भी इसका असर दिख रहा है।