उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालDoplar radar to set in Lansdowne

गढ़वाल में लगेगा 44 लाख का डॉप्लर रडार, आपदा से पहले मिलेगा अलर्ट.. जानिए खूबियां

उत्तराखंड में डाप्लर रडार की मांग 2013 की आपदा के बाद से ही उठने लगी थी, अब सरकार ने लैंसडाउन में डाप्लर रडार लगाने के लिए 44 लाख रुपए मंजूर कर दिए हैं, एक रडार की कीमत लगभग 10 करोड़ रुपए

Lansdowne doplar radar: Doplar radar to set in Lansdowne
Image: Doplar radar to set in Lansdowne (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील राज्य है। यहां प्राकृतिक घटनाओं में अबतक कई बेकसूरों की जान जा चुकी है। राज्य में 2013 में आई आपदा के बाद उत्तराखण्ड में डॉप्लर वेदर रडार लगाए जाने की माँग उठी। अब यह मांग क्यों उठी यह भी जान लीजिए। डाप्लर रडार लगाए जाने की माँग की एक बड़ी वजह थी मौसम विभाग द्वारा प्रदेश में 16 जून 2013 को आई प्राकृतिक आपदा के बारे में सटीक जानकारी देने में असक्षम होना। आपको जानकारी के लिए बता दें कि उत्तराखंड मौसम विभाग को बादलों के निर्माण से सम्बन्धित सूचना के लिये दिल्ली और पटियाला पर आश्रित रहना पड़ता है। इन केन्द्रों से प्रसारित सूचना के आधार पर ही यहाँ बारिश से सम्बन्धित अलर्ट जारी किये जाते हैं। इसका सबसे बड़ा नेगेटिव पॉइंट् यह है कि इन केन्द्रों से प्राप्त सूचनाएँ पूरे उत्तराखण्ड को कवर नहीं कर पाती हैं। अत्यधिक बारिश, आँधी, बर्फबारी आदि से प्रभावित उत्तराखण्ड में मौसम सम्बन्धी सटीक सूचना प्रसारित नहीं कर पाता। ऐसे में उत्तराखंड में डाप्लर रडार बेहद जरूरी है। उत्तराखंड सरकार ने इसी को मध्यनजर रखते हुए सामरिक और पर्यटन के लिहाज से महत्वूर्ण लैंसडाउन में डाप्लर राडार लगाने के लिए 44 लाख रुपये मंजूर कर दिए हैं।

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उत्तराखंड में मुक्तेश्वर, सुरकंडा और पौड़ी जिले के लैंसडौन क्षेत्र में स्थापित किया जाना तय हुआ था। इस वर्ष की शुरुआत में मुक्तेश्वर में पहले डाप्लर रडार ने काम करना शुरु कर दिया था।ऐसे में अब लैंसडाउन में भी डाप्लर रडार लगाने की तैयारी की जा रही है।विशेषज्ञों के अनुसार डाप्लर वेदर रडार बेहद ऊँचाई वाले स्थानों पर लगाया जाता है ताकि सूक्ष्म से सूक्ष्म तरंग भी बिना किसी बाधा के रडार तक पहुँच सके। यह इतना शक्तिशाली होता है कि 400 किलोमीटर तक के दायरे में मौसम में हो रही किसी भी बदलाव की जानकारी दे सकता है। यह रडार डॉप्लर अतिसूक्ष्म तरंगों को भी कैच कर लेता है। यह हवा में तैर रहे अतिसूक्ष्म पानी की बूँदों को पहचानने के साथ ही उनकी दिशा का भी पता लगा लेता है। यह बूँदों के आकार, उनकी रडार दूरी सहित उनके रफ्तार से सम्बन्धित जानकारी को हर मिनट अपडेट करता है। इस डाटा के आधार पर यह अनुमान पता कर पाना बेहद आसान हो जाता है कि किस क्षेत्र में कितनी वर्षा होगी या तूफान आएगा।डाप्लर रडार के अलावा राज्य के आपदा के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में पुलों ओर सड़कों की मरम्मत के लिए भी लोनिवि को 25 करोड़ रुपये का बजट आवंटित कर दिया गया है।आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य मे विभिन्न कार्यों के लिए 58 करेाड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस राशि से आपदा प्रबंधन कार्य को और प्रभावी बनाया जा सकेगा।