नैनीताल: उत्तराखंड में आसमान से बारिश की शक्ल में बरस रही आफत ने खूब तबाही मचाई है। कुदरत के कहर से हर कोई हलकान है। पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन से मुश्किलें बढ़ी हैं तो वहीं मैदानों में घरों-सड़कों में पानी भरने से लोग परेशान हैं। खासकर कुमाऊं के ज्यादातर इलाकों में स्थिति विकट है। यहां बाढ़ जैसे हालत बने हुए हैं, मलबे की चपेट में आकर अब तक सात लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सबसे पहले नैनीताल जिले की बात करते हैं। यहां के धारी ब्लॉक के चौखुटा गांव में बारिश के दौरान मजदूरों की झोपड़ी पर रिटेनिंग दीवार गिर गई। इस दौरान सात मजदूर मलबे में दब गए। दो मजदूरों के शव बरामद कर लिए गए हैं। मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। खैरना में झोपड़ी पर विशाल पत्थर गिरने से दो लोगों की जान चली गई। अल्मोड़ा में भी दर्दनाक हादसा हुआ है। यहां के भिकियासैंण में एक मकान भूस्खलन की चपेट में आ गया। इस दौरान दो बच्चे मलबे में दब गए। जिनके शव बरामद कर लिए गए हैं। आगे पढ़िए
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एनडीटी क्षेत्र में भी एक मकान में मलबा भरने से मासूम बच्चे की मौत हो गई। बाजपुर में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। कोसी नदी में पानी बढ़ने से रामनगर के गर्जिया मंदिर को खतरा पैदा हो गया। पानी मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंच गया है. यहां कोसी नदी का पानी रामनगर-रानीखेत मार्ग स्थित लेमन ट्री रिजॉर्ट में घुस गया था, जिससे 100 पर्यटक वहां फंस गए थे। फिलहाल सभी लोग सुरक्षित हैं। हल्द्वानी में गोला नदी उफान पर आने से नदी पर बना अप्रोच पुल टूट गया। जिसके कारण वहां आवाजाही बंद हो गई। हरिद्वार में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। ऋषिकेश में गंगा खतरे के निशान से महज 20 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। तमाम घाट जलमग्न हो गए हैं। पुलिस गंगा के तटीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों को लगातार अलर्ट कर रही है। अगले 24 घंटे में पिथौरागढ़, नैनीताल, चंपावत, पौड़ी जैसे जिलों में कहीं-कहीं हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है, लेकिन राजधानी दून समेत राज्य के बाकी इलाकों में आसमान पूरी तरह से साफ रहेगा।