उत्तराखंड उत्तरकाशीApples and saffron farming in uttarkashi harshil Valley

उत्तराखंड: सेब और बेशकीमती केसर से महक उठी हर्षिल घाटी, रंग लाई गांव वालों की मेहनत

सेब के साथ ही केसर की सौंधी खुशबू से महक उठी हर्षिल घाटी, केसर की खेती सफल होने के बाद जगीं काश्तकारों की उम्मीदें

Harshil Apples uttarkashi: Apples and saffron farming in uttarkashi harshil Valley
Image: Apples and saffron farming in uttarkashi harshil Valley (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी में काश्तकारों के साथ में किया गया प्रयोग सफल होता हुआ दिखाई दे रहा है जो कि एक सुखद खबर है। जी हां, अब सेब के साथ ही केसर की खुशबू से भी हर्षिल घाटी महक उठी है। जिला प्रशासन और उद्यान विभाग का काश्तकारों के साथ केसर उत्पादन को लेकर किया गया प्रयोग अब आकार ले रहा है और सफल होता नजर आ रहा है। हर्षिल घाटी में केसर के उत्पादन होने से वहां के काश्तकार भी बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं और उद्यान विभाग की ओर से किसानों को दिए गए केसर के बीज अंकुरित होने के साथ ही काश्तकारों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। अभी तक का रिजल्ट बेहद शानदार है और अगर सब कुछ ठीक रहा तो घाटी में केसर के उत्पादन को बढ़ाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा। फिलहाल अधिकारियों का कहना है कि आने वाले 1 सप्ताह में काश्तकारों के पास हुए उत्पादन का आकलन और उसकी गुणवत्ता की जांच की जाएगी।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि तय, 2 मिनट में पढ़ लीजिए
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी के निर्देश पर हर्षिल घाटी में जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर अनुकूल वातावरण को देखते हुए वहां पर केसर उत्पादन के लिए उद्यान विभाग की ओर से कुछ काश्तकारों को केसर के बीज भेजे।गए और कुछ दिनों के बाद सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद वहां पर 39 काश्तकारों का चयन कर उनको केसर उत्पादन के लिए बीज दिए गए जिन का उत्पादन शुरू हो चुका है और केसर के सकारात्मक उत्पादन से जिला प्रशासन समेत सभी काश्तकार बेहद खुश नजर आ रहे हैं। 1 सप्ताह के बाद हर्षिल घाटी में उत्पादित हुए केसर की जांच की जाएगी और इनकी गुणवत्ता की भी जांच होगी अगर सब कुछ सही रहा तो आगे बड़े पैमाने पर केसर का उत्पादन किया जाएगा। काश्तकारों का कहना है कि अगर सरकार और प्रशासन इस पर फोकस करे तो घाटी के काश्तकारों के लिए यह रोजगार का एक नया जरिया बन सकता है और इससे स्वरोजगार के साथ ही अन्य लोगों को भी रोजगार मिल सकता है। दरअसल विशेषज्ञों का कहना है कि जम्मू कश्मीर में मौसम ठंडा होने के कारण वहां पर केसर की अच्छी खेती होती है। हर्षिल घाटी में भी वातावरण ठंडा है और केसर के उत्पादन के लिए अनुकूल है जिस वजह से वहां पर भी अब केसर की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिला उद्यान विभाग का कहना है कि केसर के उत्पादन को बढ़ाने के लिए घाटी के काश्तकारों को प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे आने वाले समय में केसर उत्पादन के जरिए हर्षल घाटी में रोजगार उत्पन्न होगा।