उत्तराखंड नैनीतालNainital doctor rakshit joshi

बग्वाल मनाने पहाड़ में अपने गांव पहुंचा NASA का ये होनहार साइंटिस्ट, मंगल ग्रह के राज खोले

नैनीताल के रहने वाले डॉ. रक्षित जोशी नासा इंसाइट मिशन से जुड़े हैं। इस मिशन के तहत नासा इंसाइट लैंडर ने हाल ही में पहली बार मंगल की भीतरी संरचना की महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की है।

Doctor rakshit joshi: Nainital doctor rakshit joshi
Image: Nainital doctor rakshit joshi (Source: Social Media)

नैनीताल: पहाड़ के होनहार युवा रक्षा से लेकर विज्ञान तक हर क्षेत्र में छाए हुए हैं। गांव की पगडंडियों से निकलकर देश-दुनिया में उत्तराखंड का नाम रौशन कर रहे हैं। भारतीय अंतरिक्ष विज्ञानी डॉ. रक्षित जोशी ऐसे ही होनहार युवाओं में से एक हैं। नैनीताल के रहने वाले डॉ. रक्षित जोशी नासा इंसाइट मिशन से जुड़े हैं। इस मिशन के तहत हाल ही में नासा इंसाइट लैंडर ने पहली बार मंगल की भीतरी संरचना की महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की है। मिशन से जुड़े भारतीय वैज्ञानिक डॉ. रक्षित ने बताया कि नासा का मंगल मिशन मार्स इंसाइट लैंडर लाल ग्रह पर पानी का पता लगाएगा। रक्षित दिवाली मनाने के लिए नैनीताल पहुंचे हैं। इस बार वह दिवाली सेलिब्रेट करने के लिए अपने गृह जनपद अल्मोड़ा जाएंगे। भारत पहुंचे उत्तराखंड के इस होनहार लाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान नासा इंसाइट मिशन के बारे में जानकारी दी।

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उन्होंने कहा कि मंगल पर पूर्व में पानी होने के कई सबूत मिले हैं, लेकिन पानी कहां गायब हो गया। ये जानने में नासा इंसाइट मिशन से मदद मिलेगी। पिछले महीने मंगल पर चार बड़े भूकंप आए। इनका अध्ययन किया जा रहा है। मंगल के ज्वालामुखियों का पता लगाना भी खगोल विज्ञानियों के लिए बड़ी चुनौती है। मंगल के भीतर क्रस्ट में पानी हो सकता है। इंसाइट लैंडर ने हाल में महत्वपूर्ण जानकारी दी है। हमें पहली बार पता चला है कि मंगल सिंगल प्लेट प्लैनेट है। किसी भी ग्रह की भीतरी संरचना की यह पहली खोज है। मंगल की आंतरिक संरचना को तीन हिस्सों में बांटा गया है। डॉ. रक्षित का मानना है कि देश में एस्ट्रो टूरिज्म की भी संभावनाएं हैं। जिसमें उत्तराखंड अहम स्थान रखता है। इसके जरिए अंतरिक्ष के प्रति बच्चों की रुचि जागृत की जा सकती है। डॉ. रक्षित ने कहा कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले एक दशक के अंतराल में एस्ट्रोसैट, मार्स ऑर्बिटर और चंद्रयान मिशन के साथ अंतरिक्ष में भेजे जा रहे सेटेलाइट इसके उदाहरण हैं।