उत्तराखंड चमोलीKhurpaka disease in animals in garhwal

गढ़वाल: खतरनाक खुरपका बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं दुधारू पशु, जानिए इसके लक्षण और बचाव

गोपेश्वर के कई गांवों के मवेशियों के बीच फैल रहा है खुरपका रोग (Khurpaka disease in animals), जानिए इसके लक्षण और बचाव-

Garhwal Khurpaka disease: Khurpaka disease in animals in garhwal
Image: Khurpaka disease in animals in garhwal (Source: Social Media)

चमोली: उत्तराखंड में इन दिनों तेजी से मौसम बदल रहा है और मौसम बदलने के साथ ही पशुओं के बीच में खुरपका रोग भी काफी अधिक फैल रहा है। चमोली जिले के गोपेश्वर में भी इन दिनों मवेशियों के बीच खुरपका रोग (Khurpaka disease in animals) काफी अधिक फैल रहा है। ग्राम पंचायत सलना, जौररासी भेरिया और चंद्रशिला कांडई में कई मवेशी इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित हैं। यह रोग गाय, बकरी और बछड़ों में तेजी से फैलता है। पशुओं के बीच फैलते ही इस बीमारी से परेशान होकर ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द ही गांवों में पशु चिकित्सकों की टीम भेजने की मांग उठाई है। क्योंकि यह संक्रामक रोग है और अगर इसको समय पर नहीं रोका गया तो अन्य मवेशी भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। जौरासी गांव के ग्राम प्रधान विनोद लाल, क्षेत्र पंचायत सदस्य भरत सिंह नेगी, कांडई के ग्राम प्रधान नवीन राणा, रडुवा के प्रधान प्रदीप बर्त्वाल ने बताया कि खुरपका रोग के कारण मवेशी चारा भी नहीं खा रहे हैं। उन्होंने जिलाधिकारी और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को इस पूरे मामले में त्वरित कार्यवाही करने और शीघ्र अति शीघ्र प्रभावित गांवों में पशु चिकित्सकों की टीम भेजने की मांग उठाई है। चिकित्सक डा. सिद्धार्थ खत्री ने बताया कि प्रभावित गांवों में दवाइयां बांटी गई हैं। चलिए और आपको बताते हैं कि आखिर यह खुरपका रोग क्या है और मवेशी क्यों इसकी चपेट में आते हैं।

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इसकी संक्रमण तीव्रता काफी अधिक तेज होती है जिस वजह से बड़ी संख्या में मवेशी इसकी चपेट में आते हैं। पशु के मुंह से अत्यधिक लार टपकना, उनके जीभ और तलवों पर छालों का उभरना, दूध के उत्पादन में 80 फीसद तक कमी, पशुओं का गर्भपात होना और बछड़ों में अत्यधिक बुखार आने पर मृत्यु हो जाना इस रोग के लक्षण हैं। अब आपको बताते हैं कि इस रोग का बचाव कैसे होता है। सबसे पहले रोग का पता लगते ही संक्रमित पशु को अन्य पशुओं से तुरंत ही दूर करने पर अन्य पशु इस रोग से सुरक्षित रहते हैं। दूध निकालने वाले व्यक्ति को हाथ और मुंह साबुन से धोना चाहिए। प्रभावित क्षेत्र को सोडियम कार्बोनेट गोल पानी मिलाकर धोना चाहिए। इसी के साथ अगर कोई पशु इस रोग से पीड़ित हो जाता है तो उसको तुरंत टीका लगवाने के साथ ही चिकित्सकों की देखरेख में उसका उपचार करवाना भी बेहद जरूरी है। स्वस्थ एवं बीमार पशु (Khurpaka disease in animals) को अलग-अलग रखना भी बहुत जरूरी है। पशु के ठीक हो जाने के 20 दिन के बाद ही उसे दूसरे पशुओं के पास लाना चाहिए।