चमोली: उत्तराखंड राज्य प्राकृतिक एवं औषधीय जड़ी-बूटियों की खदान है. यहां प्रचुर मात्रा में जड़ी-बूटियों एवं वनस्पतियों का भंडार मिलता है. इस बीच हैरानी की बात तो ये भी है कि आधुनिकता की इस दौड़ में हम लगातार इन अनमोल संपदाओं को भूलते जा रहे हैं. राज्य में मौजूद गुणों की खादान लिए और बड़ी से बड़ी बीमारियों की क्षमता रखने वाले फल एवं सब्जियों के बारे में राज्य समीक्षा पर समय-समय पर आपको जानकारी मिलती रहती है. एक ऐसा ही पौष्टिक जंगली फल है भमोरा (benefits of eating bhamora fruit uttarakhand) वैसे तो भमोरे का फल कम ही खाने को मिलता है परंतु चारावाहो द्वारा आज भी जंगलों में इसके फल को खाया जाता है. यह हिमालयी क्षेत्रों में पाये जाने वाला अत्यन्त महत्वपूर्ण पौधा है. इसी वजह से इसे हिमालयन स्ट्राबेरी का नाम दिया गया है. वैसे तो भमोरा संपूर्ण हिमालय क्षेत्रों भारत, चीन, नेपाल, आस्ट्रेलिया आदि में पाया जाता है परंतु अब यह फल उत्तराखंड के उत्तरकाशी देहरादून को जोड़ने वाले मार्ग पर मोरियाणा टाप के आसपास भी मिलने लगा है. इन दिनों में मोरियाणा टाप क्षेत्र में भमोरा बेचते हुए कई लोग दिख जाते हैं. तो अगर आप भी भमोरा का स्वाद चखना चाहतें हैं तो चले आइये मोरियाणा टाप.. चलिए आपको बताते हैं कि भमोरा के नाम से प्रचलित यह उत्तराखंड का जंगली फल कितना पौष्टिक है और उसके अंदर क्या-क्या गुण हैं जो कि कई बीमारियों से लड़ने में सहायक हैं.
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