उत्तराखंड बागेश्वरStory of Tanakpur Bageshwar Rail Line

उत्तराखंड में एक रेल लाइन ऐसी भी..100 साल पहले शुरु हुआ काम, अब तक ठन-ठन गोपाल

टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन (Tanakpur-Bageshwar Rail Line) का काम सर्वे से आगे नहीं बढ़ सका। स्थानीय लोग आंदोलन कर-कर के थक गए हैं।

Tanakpur-Bageshwar Railline: Story of Tanakpur Bageshwar Rail Line
Image: Story of Tanakpur Bageshwar Rail Line (Source: Social Media)

बागेश्वर: टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन (Tanakpur-Bageshwar Rail Line) कुमाऊं वासियों का बरसों पुराना सपना। इस रेल लाइन के बनने का इंतजार करते-करते ना जाने कितनी पीढ़ियां गुजर गईं, लेकिन यह योजना आज तक मूर्त रूप नहीं ले पाई। रेल लाइन का काम सर्वे से आगे नहीं बढ़ पा रहा। स्थानीय लोग आंदोलन कर-कर के थक गए हैं, और अब सरकार से आस लगाए बैठे हैं कि शायद इस बार सरकार उनकी सुन ले। टनकपुर-बागेश्वर रेललाइन की यह कवायद आजादी से पहले 1890 में शुरू हुई थी, लेकिन यह योजना आज तक साकार नहीं हो सकी। साल 1890 में ब्रिटिश शासन काल में टनकपुर रेलवे स्टेशन से बागेश्वर तक रेल लाइन बनाने के लिए सर्वे किया गया था। दूसरा सर्वे 1911-12 में हुआ। राज्य गठन के बाद 2006 में एक बार फिर सर्वे हुआ। जिसमें रेललाइन की लंबाई 137 किलोमीटर और निर्माण लागत करीब 700 करोड़ रुपये आंकी गई। खैर अब बात फाइनल सर्वे तक पहुंच गई है। ऐसे में जनता को उम्मीद है कि इस बार मामला सर्वे से आगे बढ़ते हुए रेल लाइन तक जरूर पहुंचेगा।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - क्या उत्तराखंड में 7 साल से चालान वसूल कर रही CPU अवैध है? RTI में चौंकाने वाला खुलासा
ऐसी और भी कई योजनाएं हैं, जिनके पूरा होने का इंतजार है। मेरा गांव, मेरा धन और मेरा पहाड़ ऐसी योजनाओं में से एक है। इसका मकसद गांवों को आबाद करना और प्रवासियों-स्थानीय निवासियों को गांव में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना है। इस योजना के लिए अलग से बजट की व्यवस्था नहीं की गई, जिस वजह से यह योजना भी आगे नहीं बढ़ सकी। अब चुनाव में एक बार फिर इस योजना की बात उठने लगी है। आगामी चुनाव में राज्य को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से जोड़ने पर भी नजर है। इसके लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया है। योजना परवान चढ़ी तो विदेश से आने वाले पर्यटक सीधे उत्तराखंड पहुंच सकेंगे। हरिद्वार में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट खोलने के प्रयास हो रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्र में लैंड बैंक बनाने का सपना भी साकार नहीं हो सका है। इसके जरिए पलायन रोकने और पहाड़ों में उद्योग (Tanakpur-Bageshwar Rail Line) लगाने की प्लानिंग थी, लेकिन यह योजना भी अब तक परवान नहीं चढ़ सकी।