उत्तरकाशी: आज कहानी Uttarkashi के Satish Aswal के Self-employment की करते हैं। आखिर कौन कहता है कि केवल नौकरी करके लाखों रुपए कमाए जा सकते हैं। अगर आपके पास कुछ करने की लगन मन में मौजूद हो, सही स्ट्रेटजी हो तो आप भी स्वरोजगार के जरिए एक नौकरी पेशा व्यक्ति से कहीं अधिक कमा सकते हैं। स्वरोजगार इस समय उत्तराखंड की सबसे बड़ी जरूरत है। सैकड़ों युवा शहरों की आराम भरी जिंदगी को छोड़कर स्वरोजगार की तरफ मुड़ गए हैं और उन्होंने बेमिसाल उपलब्धि हासिल की है। पशुपालन से लेकर खेती-बाड़ी तक उत्तराखंड के युवा वापस अपनी जमीन पर लौट आए हैं और स्वरोजगार कर आमदनी कर रहे हैं। स्वरोजगार की कई सक्सेस स्टोरीज राज्य समीक्षा पर आपको आए दिन पढ़ने को मिलती हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मेहनती व्यक्ति की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने स्वरोजगार के बलबूते पर अपने गांव का नाम रोशन कर दिया है। हम बात कर रहे हैं उत्तरकाशी के नौगांव की पौंटी गांव के युवा सतीश असवाल की।
Self Employment in Uttarakhand
सतीश ने अपने पैतृक व्यवसाय पशुपालन को अपनी आजीविका का जरिया बना दिया है और प्रतिमाह उनकी 1 लाख से भी अधिक कमाई हो रही है। शहरों में नौकरी पेशा कई युवा दिन-रात मेहनत करके भी इतना नहीं कमा पाते हैं जितना सतीश असवाल गांव में प्रकृति के बीचों-बीच मेहनत करके कमा रहे हैं।
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सतीश की गौशाला में प्रतिदिन 70 लीटर से भी अधिक दूध का उत्पादन हो रहा है और इससे उन्हें 1 लाख से भी अधिक की कमाई हो रही है। 27 वर्ष के पशुपालक सतीश असवाल चाहते तो शहर में नौकरी की राह चुन सकते थे जो कि अधिकांश युवाओं की पहली पसंद होती है मगर उन्होंने अपनी ही जमीन में, अपने गांव और अपने लोगों के बीच रहकर कुछ बड़ा करने का निर्णय लिया और नौकरी की बजाय उन्होंने स्वरोजगार की राह चुनी। ग्रेजुएट सतीश असवाल ने फरवरी 2021 में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत पशुपालन के लिए 5 लाख का ऋण लिया और राघव डेयरी फार्म की शुरुआत की। सतीश असवाल का कहना है कि उनके पिता और उनकी माता दोनों किसान का काम करते हैं और पशुपालन उनका पैतृक व्यवसाय है। इसलिए उन्होंने पशुपालन व्यवसाय को ही और अधिक विस्तृत करने का निर्णय लिया और पशुपालन के जरिए आमदनी की शुरुआत की। उन्होंने दूध उत्पादन का देहरादून से प्रशिक्षण प्राप्त किया और उन्नत नस्ल की पांच गाय और दो बछड़ों का पालन शुरू किया।
बता दें कि उनको तकरीबन 70 लीटर दूध का उत्पादन होता है जिससे वह बड़कोट में बेहद आसानी से 50 रुपए प्रति लीटर की दर पर बेचते हैं। Uttarkashi के Satish Aswal के Self-employment के क्या क्या फॉर्मूले हैं, ये भी जानिए।
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Satish Aswal पशुपालन के साथ ही जैविक फसलों का उत्पादन भी कर रहे हैं और वह अपने जैविक खेत में अदरक, भिंडी, बैंगन, शिमला मिर्च समेत कई सब्जियां उगाते हैं। पशुपालन से उनको पर्याप्त गोबर खाद तैयार मिलता है। यह जैविक खाद पेड़-पौधों के लिए अमृत से कम नहीं होता है। सतीश असवाल पशुपालन और जैविक खेती को ही और अधिक विस्तार देने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। उनका मानना है कि बिना मेहनत के कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है। वहीं सतीश असवाल ने अन्य बेरोजगार युवाओं को भी डेयरी और जैविक खेती के क्षेत्र में अपार संभावनाएं देखते हुए स्वरोजगार की राह चुनने की अपील की है। उनका कहना है कि अगर देखा जाए तो उत्तराखंड में बेरोजगारी का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि यहां पशुपालन और जैविक खेती के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और युवा चाहें तो गांव में बैठे-बैठे ही महीने का अच्छा खासा कमा सकते हैं।