देहरादून: बीजेपी से निष्कासित होने के बाद काबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत बेहद भावुक नजर आए। मीडिया से बातचीत के दौरान वो फफक-फफक कर रोते दिखे। उनका दर्द आंसुओं के रूप में छलक पड़ा। हरक सिंह रावत अब भी यही कह रहे हैं कि उनका बीजेपी छोड़ने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन पार्टी ने सोशल मीडिया पर चल रही भ्रामक खबरों के आधार पर इतना बड़ा फैसला ले लिया। कबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले पार्टी ने मुझसे एक बार बात तक नहीं की। अगर मैंने बीजेपी में जाने के लिए कांग्रेस नहीं छोड़ी होती तो चार साल पहले ही इस्तीफा दे देता। मुझे मंत्री बनने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। मैं सिर्फ काम करना चाहता था। पूरे घटनाक्रम के बारे में बात करते हुए हरक सिंह रावत ने बताया कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मुझे दिल्ली बुलाया था। मैं उनसे और गृहमंत्री अमित शाह से मिलना चाहता था।
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हरक कहते हैं कि ट्रैफिक जाम में मैं थोड़ा लेट हो गया। जैसे ही मैं दिल्ली पहुंचा मैंने सोशल मीडिया में देखा कि उन्होंने मुझे बीजेपी से बर्खास्त कर दिया है। हरक सिंह रावत ने कहा कि विकास के मुद्दों को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं से मेरे मतभेद थे। लेकिन ये मतभेद इतने गंभीर नहीं थे कि मैं कांग्रेस से बातचीत करने लगता। हालांकि यह सही है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मुझसे कई बार सम्पर्क किया। वे चाहते थे कि मैं कांग्रेस ज्वाइन करूं लेकिन यह मेरा प्लान नहीं था। बीजेपी ने सोशल मीडिया में ऐसी रिपोर्ट्स को देखकर ओवर रिएक्ट किया। बता दें कि डॉ. हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं थीं। उनकी वजह से बीजेपी कई बार असहज स्थिति का सामना कर चुकी थी। हरक अपनी बहू अनुकृति रावत के लिए लैंसडौन सीट से टिकट की मांग कर रहे थे। इन तमाम बातों को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें पार्टी के साथ-साथ मंत्रिमंडल से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया।