लालकुआं: लालकुआं से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपना चुनाव हार गये हैं। उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट ने उन्हें 14 हजार वोटों से करारी शिकस्त दी। पूजा पाठ, कबड्डी खेलना, समोसे-जलेबी तलना...कुछ भी हरीश रावत के काम नहीं आया।
harish rawat lost from lalkuan seat
कहां तो खुद को कांग्रेस का सीएम फेस बता रहे थे और अपनी ही सीट नहीं बचा सके। हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट पर अपने पिता की साख बचाने और अपने भविष्य को तय करने की लड़ाई लड़ती रहीं और जीत हासिल करने में कामयाब भी रहीं। ये वही सीट है, जहां से पिछला चुनाव हरीश रावत हारे थे। प्रदेश के कई बड़े नेताओं की इस विधानसभा चुनाव में साख दांव पर लगी हुई है। पूर्व सीएम हरीश रावत उन्हीं में से एक हैं। चुनाव परिणाम से ठीक पहले हरीश रावत ने अपनी पत्नी रेनुका रावत के साथ पूजा-अर्चना की, लेकिन जीत नहीं सके। हरीश रावत की ये स्थिति तब है, जब उन्होंने 14 फरवरी के मतदान के बाद अपने आप को सीएम तक घोषित कर दिया था। आगे पढ़िए
ये भी पढ़ें:
हरीश रावत का सीधा मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी डॉ. मोहन सिंह बिष्ट से था। हरीश रावत चुनाव के बाद कह चुके हैं कि या तो मुख्यमंत्री बनूंगा या घर बैठूंगा। ऐसे में लालकुआं का रण क्या उनके राजनीतिक जीवन के लिए मौत का कुआं साबित होने वाला है, ये सवाल हर किसी के मन में है। पूर्व सीएम हरीश रावत के लिए यह विधानसभा चुनाव काफी अहम रहा है। उम्र के लिहाज से भी ये चुनाव उनके राजनीतिक करियर की दिशा तय करेगा। इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में भी हरीश रावत मुख्यमंत्री होते हुए दो सीटों से चुनाव हारे थे। उन्हें किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण सीट से हार मिली थी। हरीश रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी नैनीताल-ऊधमसिंहनगर की लोकसभा सीट से अपनी किस्मत अजमाई थी, लेकिन यहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।