उत्तराखंड रुद्रप्रयागUttarakhand longest Kedarnath ropeway

उत्तराखंड के सबसे लंबे Ropeway को मिला ग्रीन सिग्नल, सिर्फ 25 मिनट में पहुंचेंगे Kedarnath

केदारनाथ रोपवे Kedarnath ropeway सेवा के अस्तित्व में आने पर सोनप्रयाग से केदारनाथ का सफर 25 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। अभी इसके लिए 16 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है।

kedarnath ropeway: Uttarakhand longest Kedarnath ropeway
Image: Uttarakhand longest Kedarnath ropeway (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। आने वाले वक्त में यात्री मिनटों में केदारनाथ धाम पहुंच सकेंगे।

Uttarakhand longest ropeway to Kedarnath

केदारनाथ धाम को रोपवे सेवा से जोड़ने का रास्ता साफ हो गया है। राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की बैठक में केदारनाथ रोपवे परियोजना को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे सेवा उत्तराखंड की सबसे लंबी रोपवे सेवा होगी। रोपवे के निर्माण की डीपीआर तैयार है। इस रोपवे सेवा के अस्तित्व में आने पर सोनप्रयाग से केदारनाथ का सफर 25 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड ने रुद्रप्रयाग में रामबाड़ा से गरुड़चट्टी के लिए 3.5 किमी लंबे पैदल मार्ग निर्माण को भी सहमति प्रदान की है। हेमकुंड साहिब रोपवे को राष्ट्रीय वन्य जीव क्षेत्र में न बताते हुए बोर्ड ने एक तरह से इसके निर्माण का रास्ता भी साफ कर दिया है। उत्तराखंड ब्रिज रोप वे एंड टनल (ब्रिडकुल) के चेयरमैन व प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने इसकी पुष्टि की है।

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उन्होंने कहा कि अब इस रोप वे के लिए पर्यावरणीय अनुमति ली जाएगी। इसके बाद इसके लिए टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। यह क्षेत्र नेशनल वाइल्डलाइन सेंचुरी के अंतर्गत आता है, इसे देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने रोप वे परियोजना की मंजूरी को पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा था। प्रोजेक्ट के तहत सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे पर चार स्टेशन गौरीकुंड, चीरबासा, लिनचोली और केदारनाथ में बनाए जाने प्रस्तावित हैं। प्रस्तावित रोप वे में 22 टावर लगाए जाने हैं। तकरीबन 11.5 किमी लंबे इस रोप वे परियोजना की लागत 950 करोड़ रुपये आंकी गई है। रोपवे से सोनप्रयाग से केदारनाथ का सफर 25 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। अभी इसके लिए लगभग 16 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। Kedarnath ropeway निर्माण की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) ने एक कंपनी को सौंपी है। कार्यदायी संस्था इसके निर्माण के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा कर चुकी है।