चमोली: जोशीमठ में भू धंसाव की वजह से परिस्थितियां खराब होती जा रही हैं। 678 प्रभावित घरों में से करीब 68 घरों को बहुत ज्यादा संवेदनशील माना गया है जिन्हें फौरन गिराए जाने की बात कही जा रही है।
Red mark on many houses in joshimath
प्रशासन ने ऐसे अति संवेदनशील घरों पर लाल निशान लगा दिए हैं। इस लाल निशान का मतलब ये है कि यह मकान खतरे से खाली नही हैं और लोगों को इन्हें खाली करना ही होगा और राहत शिविरों में जाना होगा। लेकिन सरकार ने उचित व्यवस्था नहीं की है जिस वजह से लोगों के बीच में आक्रोश साफ देखने को मिल रहा है। पुनर्वास की उचित व्यवस्था न होने के कारण लोगों में आक्रोश है। अब तक कुल 81 परिवारों को सुरक्षित स्थानो पर शिफ्ट किया गया है। लेकिन चिंता की बात ये है कि 68 घरों पर गंभीर रूप से खतरा है। ये घर कभी भी गिर सकते हैं इसलिए इन्हें खाली करावाया जा रहा है। इन मकानों पर लाल रंग के निशान लगाए जा रहे हैं। इन भवनों को कभी भी ध्वस्त किया जा सकता है मगर इन भवनों के मालिकों के बीच में नाराजगी भी साफ देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि सरकार ने उनके पुनर्वास की व्यवस्था तक नहीं की है, और अब उनके पुश्तैनी घरों को तोड़ने के फरमान जारी कर दिए हैं।
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लोगों का कहना है कि इन घऱों को हमने पाई पाई जोड़कर मेहनत से बनाया है। अब इन्हें तोड़ने के फरमान जारी हो रहे हैं और हमारे पुनर्वास की कोई ढंग से व्यवस्था तक नहीं है। लोग जिद पर अड़ गए हैं कि अब चाहे कुछ भी हो जाए वे अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे। जोशीमठ में प्रवास कर रहे मुख्यमंत्री के सचिव डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम के मुताबिक जोशीमठ के प्रभावित घरों को 3 श्रेणियों में बांटा गया है। जिन भवनों में मोटी दरारें हैं और वे कभी भी गिर सकते हैं वहा डेंजर जोन घोषित किया गया है।प्राथमिकता के आधार पर सभी लोगों को सुरक्षित स्थानों के लिए निकाला जा रहा है। दूसरा बफर जोन है जहां भवनों में आंशिक दरारें हैं। यहां खतरा आने वाले समय में बढ़ सकता है। यहां के लोगों को भी राहत शिविरों में ले जाया जा रहा है। तीसरा सुरक्षित जोन है जहां पर राहत शिविर चलाए जा रहे हैं। ये जोन पूरी तरह सुरक्षित है।