उत्तराखंड चमोलीNainital Rudraprayag is also in danger like Joshimath

उत्तराखंड में अनगिनत ‘जोशीमठ’, चमोली समेत 3 जिलों में खतरे का सिग्नल दे रही है धरती

जोशीमठ की तरह दूसरे कई पर्वतीय क्षेत्र भी लगातार धंसते जा रहे हैं, पर सरकार-प्रशासन की नींद नहीं टूट रही।

Joshimath sinking latest update: Nainital Rudraprayag is also in danger like Joshimath
Image: Nainital Rudraprayag is also in danger like Joshimath (Source: Social Media)

चमोली: जोशीमठ से आई तबाही की तस्वीरों ने हर किसी को डरा दिया है। किसने सोचा था कि बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब जैसे तीर्थस्थलों के द्वार जोशीमठ का ऐसा बुरा हाल होगा। शहर का अस्तित्व संकट में है, लेकिन भूधंसाव की समस्या अकेले जोशीमठ में नहीं है।

Nainital is also in danger like Joshimath

दूसरे कई पर्वतीय क्षेत्र इसी तरह धंसते जा रहे हैं, पर सरकार-प्रशासन ध्यान नहीं दे रहे। सबसे पहले नैनाताल से आई एक तस्वीर की बात करेंगे। यहां जुलाई में बैंड स्टैंड के समीप की दीवार भरभराकर झील में गिर गई थी। बैंड स्टैंड से लेकर वाल्मिकी पार्क की ओर से दरारें लगातार बढ़ रही हैं। प्रशासन पहले तो सोया रहा, लेकिन जब जोशीमठ में भूधंसाव की घटनाएं हुईं, तो अब यहां भी लोगों को शिफ्ट करने का काम शुरू कर दिया गया है। ये बात और है कि प्रभावित क्षेत्र के ट्रीटमेंट के लिए बजट अब तक जारी नहीं हुआ। तीन साल पहले मल्लीताल बैंड स्टैंड के समीप फुटपाथ में बड़ी दरार उभर आई थी। तब भी विभाग की ओर से तात्कालिक सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए।

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जुलाई 2022 में झील की सुरक्षा दीवार ढह कर झील में समा गई। जिससे बैंड स्टैंड में भी बड़ी-बड़ी दरारें उभर आई। उस वक्त प्रशासनिक अधिकारियों ने क्षतिग्रस्त दीवार का काम जल्द शुरू कराने की बात कही थी, लेकिन अब कोई जनप्रतिनिधि या अफसर यहां झांकने तक नहीं आता। भू विज्ञानी प्रो. सीसी पंत के अनुसार झील का जलस्तर बढ़ने पर पानी किनारों की दीवारों में भीतर तक चला जाता है, फिर जलस्तर घटने पर साथ में भीतर की मिट्टी भी बहा लाता है। जिससे भीतर जगह खाली हो जाती है। इसके स्थायी ट्रीटमेंट के लिए लेक लेवल से वीप होल देकर व सीमेंट से चिनाई की जरूरत है।

Rudraprayag is also in danger like Joshimath

नैनीताल की ही तरह सतपुली और रुद्रप्रयाग के गुप्तकाशी, नरकोटा और सेमी गांव भी भूधंसाव की चपेट में हैं। नरकोटा में रेलवे के लिए टनल बन रही है, जिससे लोगों के घरों पर दरारें पड़ गई हैं। सिमी गांव लगातार धंस रहा है। गुप्तकाशी में भी अंधाधुन दोहन हो रहा है। पहाड़ में हो रहे अनियोजित विकास कार्यों ने कई क्षेत्रों को आपदा के मुहाने पर ला खड़ा किया है।