उत्तराखंड चमोली5 Reasons Behind Joshimath Sinking

Joshimath sinking: जोशीमठ में भू धंसाव की 5 बड़ी वजहें, जानिए क्या है भू-धंसाव के अगली कारण

Joshimath sinking: जोशीमठ धंस रहा है मगर वह क्यों धंस रहा है इसका जवाब बहुत कम लोगों के पास है? वैज्ञानिकों के अपने तर्क हैं।

Joshimath sinking latest update: 5 Reasons Behind Joshimath Sinking
Image: 5 Reasons Behind Joshimath Sinking (Source: Social Media)

चमोली: जोशीमठ धंस रहा है मगर वह क्यों धंस रहा है इसका जवाब बहुत कम लोगों के पास है? वैज्ञानिकों के अपने तर्क हैं। लोगों के अपने अलग तर्क हैं। मगर यह खबर आपको उन पांच मुख्य वजहों के बारे में बताएगी जिनकी वजह से लोगों को अपने अपने घरों को छोड़ना पड़ रहा है। जोशीमठ खाली हो रहा है और पूरा का पूरा शहर बर्बाद हो रहा है। अब तक 678 मकानों में दरारें आ चुकी हैं।

Reasons Behind Joshimath Sinking

1- तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना
तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना की टनल जोशीमठ के नीचे करीब एक किमी गहराई में गुजर रही है। 25 मई 2010 को करेंट साइंस शोध पत्रिका में प्रकाशित गढ़वाल विवि के पूर्व प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट व डॉ. पीयूष रौतेला के शोध पत्र में भी स्पष्ट कहा गया था कि परियोजना की टनल बोरिंग मशीन की वजह से पानी का रिसाव बढ़ रहा है जो कि भविष्य का खतरनाक संकेत है।
2- ड्रेनेज व सीवेज व्यवस्था
पिछले साल 16 से 19 अगस्त के बीच राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला के नेेतृत्व में एक टीम ने जोशीमठ का सर्वेक्षण किया था। शोध के बाद उन्होंने नवंबर माह में 28 पृष्ठों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसमें उन्होंने माना था कि जोशीमठ के नीचे अलकनंदा में कटाव के साथ ही सीवेज और ड्रेनेज की व्यवस्था न होने से पानी जमीन में समा रहा है। इससे जमीन और अधिक धंस रही है।
3- भूस्खलन क्षेत्र में बसा शहर
जोशीमठ भूस्खलन में बसा हुआ शहर है। 1970 में अलकनंदा की बाढ़ के बाद यूपी सरकार ने 1976 में तत्कालीन गढ़वाल आयुक्त एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में वैज्ञानिकों की 18 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में सिंचाई, लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर, रुड़की इंजीनियरिंग कालेज (अब आईआईटी) और भूर्गभ विभाग के विशेषज्ञों के साथ ही पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट भी शामिल थे। वहीं कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह माना था कि जोशीमठ भू-स्खलन प्रभावित क्षेत्र है। और इसके ढलानों से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। यहां पर किसी भी प्रकार का खनन नहीं होना चाहिए।

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4- अनियंत्रित निर्माण कार्यों का बोझ
यहां हुए अवैध निर्माणकार्यों की गिनती ही नहीं है। लोगों द्वारा बहुमंजिला मकान बना दिए गए हैं जिस वजह से ज़मीन पर दबाव बन गया है। बिना प्लानिंग के मकान बनाए गए, सरकार ने भी दखलंदाजी नहीं की जिसका दुष्परिणाम आज समस्त जोशीमठ को उठाना पड़ रहा है।आवासीय एवं व्यावसायिक भवनों के अंधाधुंध निर्माण से प्रति वर्गमीटर जमीन पर दबाव बढ़ गया है, जिससे भू धंसाव को बढ़ावा मिल रहा है।
5- अलकनंदा नदी में हो रहा भू-कटाव
जोशीमठ के जमीनोंजद हो जाने के पीछे अलकनंदा में कटाव भी एक बड़ी वजह। पिछले साल विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया था कि जोशीमठ शहर के नीचे अलकनंदा नदी से हो रहा कटाव भी खतरनाक साबित हो सकता है। इस वजह से भू धंसाव हो सकता है।