चमोली: उत्तराखंड की गोल्डन गर्ल मानसी नेगी वॉक रेस में भारत का नाम रोशन कर चुकी हैं।
Success Story of Mansi Negi
मानसी की उपलब्धियां उनकी उम्र से कहीं ज्यादा है। आज हम मानसी को शानदार एथलीट के रूप में पहचानते हैं, लेकिन इस पहचान को कमाने के लिए मानसी ने जो संघर्ष किया, उसके बारे में हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। मानसी वॉक रेस में अब तक प्रदेश व देश का नाम भारत ही नहीं बल्कि चीन सहित अन्य देशों में भी रोशन कर चुकी है। चमोली के मजोठी गांव की रहने वाली मानसी की सफलता में उनकी माता का विशेष योगदान रहा है। वो गांव में दूध बेचती थीं। 3 मई 2003 में जन्मी मानसी ने कम उम्र में ही पिता को खो दिया था। साल 2016 में उनके पिता का निधन हो गया। जिसके बाद मां शकुंतला देवी बेटी को शिक्षित करने के लिए जीतोड़ मेहनत करने लगीं। वो खेती करतीं साथ ही दूध भी बेचती थीं, ताकि गोपेश्वर में रहने वाली उनकी बेटी पढ़ाई जारी रख सके। साल 2020 में मानसी ने देहरादून में रहकर इंटर किया। यहां पर क्योंकि स्टेडियम की सुविधा थी, इसलिए वो वॉक रेस की प्रैक्टिस करने लगीं।
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उन्होंने महाराणा स्पोर्टस कॉलेज से भी प्रशिक्षण लिया। मानसी नेगी का कहना है कि संघर्ष के समय में मां ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। कोच के मार्गदर्शन में वो लगातार आगे बढ़ती रहीं। उपलब्धियों की बात करें तो साल 2018 में मानसी ने खेलो इंडिया स्कूल गेम्स वॉक रेस में गोल्ड मेडल, नेशनल स्कूल गेम्स में गोल्ड मेडल व नार्थ जोन जूनियर एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल हासिल किया था। साल 2022 में वो फेडरेशन कप जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, ओपन अंडर 23 एथलेक्टिस में गोल्ड मेडल व नेशनल जूनियर एथलेक्टिस चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रहीं। साल 2013 में उन्होंने इंडियन ओपन रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी एथलेक्टिस मीट में गोल्ड मेडल व वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में कांस्य पदक जीता। राज्य सरकार ने हाल में मानसी को तीलू रौतेली पुरस्कार से नवाजा है। वर्तमान में मानसी पंजाब के निजी विश्वविद्यालय से स्नातक कर रही हैं।