पिथौरागढ़: कभी पलायन से ग्रसित रहे उत्तराखंड में अब तस्वीर बदलने लगी है।
Trend of home stay increased In Pithoragarh
खासकर यहां के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में युवाओं ने गांव छोड़कर शहर जाने के बजाय क्षेत्र में रहकर ही रोजगार के साधन जुटाने का हुनर सीख लिया है। यहां के युवाओं का होम स्टे में रुझान बढ़ रहा है। सरकार की ओर से भी मदद दी जा रही है। जिसका असर ये है कि जिले के 8 विकासखंडों में 714 होम स्टे संचालित हो रहे हैं। मुनस्यारी, धारचूला, बेड़ीनाग में लोगों का रुझान होम स्टे की ओर बढ़ा है। सबसे ज्यादा 492 होम स्टे धारचूला में हैं। इसी तरह मुनस्यारी में 94 होम स्टे हैं। बेड़ीनाग में 56, विण में 25, मूनाकोट में 20, गंगोलीहाट में 10, कनालीछीना में 14 और डीडीहाट में तीन होम स्टे बनाए गए हैं। आगे पढ़िए
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यहां व्यास और दारमा घाटी में ग्रामीण होम स्टे से अच्छी आय कर रहे हैं। उनकी संस्कृति, रहन-सहन का भी प्रचार-प्रसार हो रहा है। केवल दारमा घाटी की ही बात करें तो यहां 335 होम स्टे बने हैं। नागलिंग में 50, बौन में 49 समेत 15 गांवों में होम स्टे बने हैं। व्यास घाटी के सात गांवों में 88 होम स्टे हैं। चौदास घाटी में 56 और धारचूला देहात में 13 होम स्टे बनाए गए हैं। पर्यटन विकास अधिकारी, पिथौरागढ़ कीर्ति आर्या ने कहा कि अधिकाधिक लोगों को होम स्टे योजना का लाभ उठाने को प्रेरित किया जा रहा है। होम स्टे बनाने के लिए कैंप भी लगाए जा रहे हैं। सिर्फ पिथौरागढ़ ही नहीं दूसरे जिलों में भी होम स्टे की बदौलत युवाओं को रोजगार मिला है। साल 2018-19 में उत्तराखंड के सभी जिलों में होम स्टे की संख्या 965 थी, जो वर्तमान में बढ़कर करीब चार हजार हो गई है।