हल्द्वानी: पहाड़ी अनाज और यहां उगने वाली सब्जियां स्वाद के साथ-साथ सेहत के पैमाने पर भी फिट बैठती हैं। बात करें सर्दियों में मिलने वाली औषधीय सब्जियों की तो इनमें गेठी गडेरी प्रमुख हैं।
Health Benefits of Genthi and Gaderi
हल्द्वानी की सब्जी मंडी में गेठी और गडेरी आ चुकी हैं। लोग बड़े चाव से इन्हें खरीद रहे हैं। ये दोनों पहाड़ी सब्जियां औषधीय गुणों के लिए मशहूर हैं। इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है। कुमाऊं के पहाड़ की सबसे मशहूर सब्जियों गेठी और गडेरी को पहाड़ के साथ-साथ मैदानी क्षेत्रों में भी खूब पसंद किया जाता है। इसकी वजह है इनमें मिलने वाले पोषक तत्व। गेठी और गडेरी की सब्जी में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं। इनमें फाइबर, प्रोटीन, पोटेशियम, विटामिन ए, विटामिन सी, आयरन और कैल्शियम के अलावा कई अन्य विटामिन शामिल हैं। मधुमेह के रोगियों के लिए ये लाभदायक बताई जाती हैं। इनसे इंसुलिन और ग्लूकोज की मात्रा का संतुलन बना रहता है। पर्याप्त मात्रा में फाइबर के साथ इन दोनों सब्जियों की तासीर गर्म मानी जाती है। गडेरी और गेठी की तासीर गर्म होती है, इसलिए इनका सेवन सर्दियों में ज्यादा किया जाता है। मुख्य रूप से गडेरी और गेठी की सब्जी नैनीताल जनपद के ऊंचाई वाले क्षेत्रों के अलावा अल्मोड़ा जिले के कोसी नदी वाले इलाकों में होती है। यहां पर किसान बड़ी मात्रा में इस सब्जी का उत्पादन करते हैं। जो कि यहां के किसानों के लिए रोजगार का साधन भी है। ये तो हुई इन सब्जियों के गुणों की बात, अब दाम भी बताते हैं। हल्द्वानी सब्जी मंडी में गडेरी 40 रुपये 50 रुपये प्रति किलो के भाव मिल रही है। आगे पढ़िए
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जबकि गेठी 50 रुपये से 80 रुपये प्रति किलो के भाव बिक रही है। पहाड़ी मंडियों के साथ-साथ मैदानी क्षेत्र की मंडियों में भी इनकी डिमांड बढ़ गई है। डिमांड अधिक होने के चलते इनकी आपूर्ति भी पूरी नहीं हो पा रही। लोग दूसरे राज्यों में रहने वाले रिश्तेदारों को भी गेठी गडेरी की सब्जी भेज रहे हैं। किसानों का कहना है कि पहाड़ में उत्पादित सब्जियों की मंडियों में खूब डिमांड है, लेकिन सरकार की ओर से सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा। यही वजह है कि पहाड़ के किसान इन सब्जियों का अधिक मात्रा में उत्पादन नहीं कर पा रहे। सरकार को पहाड़ी सब्जियों (Uttarakhand Genthi Gaderi) की खेती को प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि यहां की पौष्टिक सब्जियों को देश-दुनिया में पहचान मिल सके।