देहरादून: आने वाले कुछ वर्षों में राज्य की जनसंख्या असंतुलन एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर सकता है। बीजेपी सरकार ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए चिंता जताई है। खबरों के अनुसार डेमोग्राफिक बदलावों को रोकने के लिए सरकार भविष्य में कुछ सख्त कदम उठा सकती है।
Uttarakhand Muslim Population Growth Against Hindus in 10 Years
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कई गांवों में गैर हिंदुओं, रोहिंग्या मुसलमानों और फेरी वालों का गांव में व्यापार और घूमना वर्जित है, जैसे बैनर लगाए गए हैं। इन बैनरों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं, जिसके बाद विवाद बढ़ गया है। हालांकि प्रशासन ने कई गांवों से ये बोर्ड हटा दिए हैं, लेकिन मामला गर्मा गया है। यह घटनाक्रम हाल ही में चमोली में एक नाबालिग के साथ छेड़छाड़ के मामले के बाद सांप्रदायिक तनाव के बढ़ने के बीच आया है। राष्ट्रीय संघ सेवक ने जुलाई में सीमा क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी की बढ़ोतरी का दावा किया था।
आइए जाने उत्तराखंड की जनसंख्या की वास्तविकता क्या है:-
1. वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक उत्तराखंड की कुल जनसंख्या 10,116,752 है। भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में 3.84% की कमी आई है, जो 2001 में 21.54% थी और 2011 में 17.70% हो गई। उत्तराखंड में भी जनसंख्या वृद्धि दर 2001 के 20.41% से घटकर 18.81% रह गई है।
2. उत्तराखंड राज्य का गठन 2000 में हुआ था और उस समय 2001 की जनगणना के अनुसार राज्य में मुस्लिमों की आबादी करीब 1 लाख थी। 2011 तक यह संख्या बढ़कर 14 लाख से ज्यादा हो गई। इस दौरान हिंदुओं की आबादी में 16% की वृद्धि हुई, जबकि मुस्लिम जनसंख्या में 39% की वृद्धि दर्ज की गई। यह डेटा उस समय का है, जब पिछले एक दशक से भारत की नई जनगणना के आंकड़े नहीं आए हैं।
3. वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड की कुल आबादी में हिंदू 84.95% थे, जबकि मुस्लिम 11.92% थे। 2011 की जनगणना तक हिंदू आबादी घटकर 82.97% रह गई और मुस्लिम आबादी बढ़कर 13.95% हो गई। इस दौरान मुस्लिम आबादी में 2% की वृद्धि देखी गई।
4. हरिद्वार में मुस्लिमों की आबादी भी काफी अधिक है, हालांकि यह एक तीर्थनगरी है। यहाँ हिंदुओं के बाद मुस्लिमों की संख्या दूसरे स्थान पर है। 2011 की जनगणना के अनुसार, देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार, और ऊधमसिंह नगर जिलों में औसत हिंदू आबादी करीब 75% है, जबकि औसत मुस्लिम आबादी 20.5% है।
5. उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी असम के बाद सबसे तेजी से बढ़ी है और इसे राज्य में जनसंख्या असंतुलन की समस्या के रूप में देखा जा रहा है। मैदानी जिलों में मुस्लिम वोटों का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि ये निर्णायक हो गए हैं।